आईटी कंपनी विप्रो पर 5 पूर्व कर्मचारियों ने गंभीर आरोप लगाया है. कंपनी अमेरिका में इन आरोपों को लेकर मुकदमे का सामना कर रही है, अमेरिका में कार्यरत इन पांचों कर्मचारियों ने क्षेत्रीय भेदभाव का आरोप लगाया है.
दरअसल, इन पूर्व कर्मचारियों ने न्यू जर्सी के जिला न्यायालय में 30 मार्च 2020 को मुकदमा दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनी प्रमोशन, सैलरी बढ़ोतरी और टर्मिनेशन में जो कर्मचारी दक्षिण एशियाई या फिर भारतीय मूल के नहीं हैं उनके साथ भेदभाव की नीतियां अपनाती है. पूर्व कर्मचारियों ने अदालत से इस मामले में ज्यूरी ट्रायल की मांग की है.
कंपनी ने साधी चुप्पी
इन आरोपों को लेकर जब बिजनेस टुडे ने विप्रो से संपर्क किया तो कंपनी ने केवल जवाब में इतना कहा कि मामला कोर्ट में है, इसलिए टिप्पणी करना अभी उचित नहीं है.
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विप्रो कंपनी पर आरोप लगाने वाले 5 पूर्व कर्मचारियों में से 4 कोकेशियान मूल और एक हिस्पैनिक मूल के हैं. इनका आरोप है कि कंपनी में भेदभावपूर्ण रवैये की वजह से इनकी नौकरी चली गई. यही नहीं, याचिका में कहा गया कि विप्रो कंपनी ने दक्षिण एशियाई और भारतीयों को अमेरिका में रखने की प्राथमिकता दी है, जिस वजह से दूसरे देशों के मुकाबले अमेरिका में इस कंपनी में अधिकतर कर्मचारी दक्षिण एशियाई और भारतीय मूल के हैं.
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पिछले साल भी सामने आया था एक मुद्दा
पिछले एक दशक में ये पांचों कर्मचारी अमेरिका में विप्रो से अलग-अलग वक्त पर जुड़े थे. अब इन लोगों ने अदालत से मांग की है कि कंपनी के खिलाफ एक्शन लिया जाए और सभी कर्मचारियों के लिए कंपनी की एक नीति होनी चाहिए. ताकि नई ज्वाइनिंग, प्रमोशन और टर्मिनेशन में किसी तरह का भेदभाव न हो.गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में, एक और अफ्रीकी-अमेरिकन कर्मचारी ने विप्रो कंपनी के खिलाफ नौकरी से निकाले जाने पर भेदभाव का आरोप लगाकर मुदकमा दायर किया था. जिसमें कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के साथ मुआवजे की मांग की गई थी.