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कंपनियां कैसे करती हैं फ्री ऐप्स से मोटी कमाई? जानें क्या है इनका रेवेन्यू मॉडल

ज्यादातर ऐप गूगल प्ले स्टोर या आईफोन के ऐप स्टोर से मुफ्त में डाउनलोड किए जा सकते हैं और सब्सक्राइबर को इसके लिए कोई फीस नहीं देनी होती. ये ऐप सब्सक्रिप्शन फीस की जगह कई अन्य तरीके से कमाई करते हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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  • दुनिया भर में फ्री ऐप्स के मालिक कर रहे अरबों डॉलर की कमाई
  • लोगों से फीस लेने की जरूरत नहीं, इनके पास कमाई के कई रास्ते

भारत में करोड़ों डाउनलोड से चीनी कंपनियां मोटी कमाई कर रही हैं. सरकार ने ऐसे करीब 59 चीनी ऐप्स को सुरक्षा के लिए खतरा बताकर बैन भी कर दिया है. आखिर फ्री ऐप्स से कंपनियां कैसे करती हैं कमाई? क्या है इनका रेवेन्यू मॉडल? आइए जानते हैं...

ज्यादातर फ्री ऐप गूगल प्ले स्टोर या आईफोन के ऐप स्टोर से मुफ्त में डाउनलोड किए जा सकते हैं और सब्सक्राइबर को इसके लिए कोई फीस नहीं देनी होती. असल में ऐप कई तरीके से पैसा कमाते हैं. इनमें ऐडवर्टाइजिंग यानी विज्ञापन, रेफरल मार्केटिंग, इन ऐप परचेज, सब्सक्रिप्शन, स्पांसरशिप, क्राउड फंडिंग, ई-कॉमर्स आदि शामिल हैं. कुछ ऐप कमाई के लिए अपने कुछ यूनीक तरीके अपनाते हैं. जैसे टिकटॉक कहता है कि उसकी कमाई का बड़ा हिस्सा सर्विस फीस से आता है. लेकिन यह सर्विस फीस क्या होता है इसका टिकटॉक ने कोई खुलासा नहीं किया है.

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आज ऐसे ऐप लोगों के जीवन का आधार बन गए हैं. ऐप से लोग सामान ऑर्डर करते हैं, शहर में ट्रैवलिंग के दौरान रूट मैप देखते हैं, मनोरंजन करते हैं, चैटिंग करते हैं या वीडियो बनाकर कमाई भी करते हैं. एक अनुमान के अनुसार गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर 6 करोड़ से ज्यादा ऐप होंगे. साल 2020 में इन सभी ऐप के संचालकों की कमाई 190 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है.

सबसे ज्यादा कमाई करने वाले ज्यादातर फ्री ऐप ही हैं. करीब 98 फीसदी डाउनलोड फ्री ऐप के ही होते हैं. ज्यादा कमाई गेम वाले ऐप की होती है. एक अनुमान के अनुसार, गूगल प्ले स्टोर पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाले टॉप 10 ऐप में से 8 गेम वाले ऐप हैं. इनमें कैंडीक्रश सैग, क्लैश ऑफ क्लैन्स आदि शामिल हैं.

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ऐडवर्टाइजिंग

यह ऐप के लिए रेवेन्यू हासिल करने का सबसे प्रमुख तरीका है. एक अनुमान के अनुसार 70 फीसदी ऐप ऐसे विज्ञापन वाले ऐड देते हैं जिनसे उनको प्रति डिस्पेल या इम्प्रेशन (प्रति क्लिक) के हिसाब से भुगतान मिलता है. ये ऐड कई तरह से ऐप का इस्तेमाल करते समय आ सकते हैं. जैसे बैनर ऐड, 10 से 30 सेकंड के वीडियो ऐड, इंडस्ट्रियल ऐड जो अक्सर पॉप-अप के रूप में आते हैं, नेटिव ऐड जो ऐप में नेचुरली इंटीग्रेटेड होते हैं. इन्सेटिव वाले ऐड जिसमें कई ऐप रीवार्ड देते हैं. यानी कस्टमर जब यह ऐड वाले वीडियो देखते हैं तो उन्हें पॉइंट्स मिलते हैं.

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रेफरल मार्केटिंग

कई ऐप अपनी कमाई के लिए रेफरल मार्केटिंग का भी इस्तेमाल करते हैं. इसके तहत किसी कंपनी या प्रोडक्ट को प्रमोट किया जाता है. कंपनी के बारे में जानकारी ऐप में किसी जगह दी रहती है और जब सब्सक्राइबर वहां पर क्लिक करता है तो उसे रिवॉर्ड मिलता है. इस क्लिक के आधार पर ऐप की कमाई होती है.

इन ऐप परचेज और ई-कॉमर्स

भारत में जियो व्हाट्सऐप के द्वारा इस तरह की सुविधा शुरू करने वाली है. इसमें आप किसी ऐप के द्वारा शॉपिंग कर सकते हैं. इसे प्रीमियम ऐप मॉडल भी कहते हैं. इसमें किसी ऐप पर सीधे ई-कॉमर्स या किसी कंपनी का लिंक होता है, जहां से आप शॉपिंग कर सकते हैं. इसमें ऐप की मालिक कंपनी को कमीशन मिलता है.

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ई-मेल मार्केटिंग

ऐप इस तरह से भी कमाई करते हैं. वे ग्राहकों का ई-मेल और अन्य डेटा दूसरी कंपनियों को देते हैं और फिर उन ग्राहकों को ई-मेल के द्वारा कई तरह के उत्पादों, कंपनियों के बारे में जानकारी वाले मार्केटिंग ई-मेल भेजे जाते हैं.

सब्सक्रिप्शन मॉडल

बहुत से ऐप फ्री नहीं होते और वे सब्सक्रिप्शन मॉडल के आधार पर कमाई करते हैं. इसमें ज्यादातर प्रीमियम म्यूजिक या वीडियो वाले ऐप होते हैं. जैसे गूगल म्यूजिक, नेटफ्लिक्स, एमेजन प्राइम आदि. कई न्यूज ऐप भी इस मॉडल पर काम करते हैं. इसमें सब्सक्राइबर से हर महीने एक निश्चित रकम ली जाती है.

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