वित्त मंत्रालय ने केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि के अग्रिम अनुमान को उम्मीद से कम बताते हुये कहा कि अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलावों के मद्देनजर 2012-13 में आर्थिक वृद्धि 5.5 प्रतिशत अथवा इससे कुछ अधिक रहेगी.
वित्त मंत्रालय ने कहा है, ‘पांच प्रतिशत के अग्रिम वृद्धि अनुमान में संशोधन हो सकता है और अंतिम आंकड़े सरकार के घोषित अनुमान 5.5 प्रतिशत के आसपास या फिर से इससे कुछ ऊपर रह सकते हैं.’ केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने वर्ष 2012.13 की आर्थिक वृद्धि के गुरुवार को जारी अग्रिम अनुमान में 5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है. हालांकि, इससे पहले वित्त मंत्रालय ने संसद के शीतकालीन सत्र में पेश मध्यवर्षीय आर्थिक समीक्षा में वर्ष के दौरान 5.7 से 5.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया है.
रिजर्व बैंक ने भी हाल ही में जारी तीसरी तिमाही समीक्षा में आर्थिक वृद्धि 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. वित्त मंत्रालय ने सीएसओ के पिछले सात साल के वृद्धि अनुमानों के आंकड़े जारी करते हुये कहा है कि संगठन के अग्रिम अनुमानों में अक्सर बदलाव होता रहा है और अंतिम आंकड़ों में इनमें या तो वृद्धि दर्ज की गई या फिर कभी कम भी रहे हैं.
मंत्रालय ने कहा है, ‘सीएसओ के अग्रिम अनुमान नवंबर अथवा दिसंबर 2012 तक के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर हैं. आमतौर पर सीएसओ के आंकड़े तभी सटीक बैठते हैं जब अर्थव्यवस्था एक निश्चित रुझान में आगे बढ़ रही हो, लेकिन बदलाव की स्थिति में यह सही साबित नहीं होते. उदाहरण स्वरूप वर्ष 2008-09 और 2011-12 में सीएसओ के वृद्धि अनुमान अंतिम आंकड़ों की तुलना में ऊंचे रहे, जबकि इस बार आंकड़े कम करके आंके गये.’
मंत्रालय द्धारा उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के अनुसार सीएसओ ने वर्ष 2008-09 में अर्थव्यवस्था में 7.1 प्रतिशत वृद्धि का अग्रिम अनुमान लगाया था जबकि संशोधित अनुमान में यह 6.7 प्रतिशत और अंतिम आंकड़ों में 6.8 प्रतिशत रही. ये आंकड़े वर्ष 1999-200 के स्थिर मूल्यों पर आधारित थे. इसी प्रकार 2011-12 में सीएसओ ने 6.9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का अग्रिम अनुमान लगाया था जबकि संशोधित अनुमान में यह घटकर 6.5 प्रतिशत और त्वरित अनुमान में 6.2 प्रतिशत रहे.’
वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था में तेजी आने के अपने अनुमान के पीछे हाल में मिले कुछ संकेतकों का भी जिक्र किया है. मंत्रालय ने कहा है, ‘खरीद प्रबंधकों का सूचकांक (विनिर्माण) अक्टूबर 2012 के बाद चढ़ने लगा है. इसके साथ ही औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में भी अक्टूबर 2012 के बाद मौसम के अनुरूप समायोजन के बाद स्थायित्व दिखाई दिया है. मंत्रालय ने यह भी कहा है कि वर्ष के दौरान अप्रैल से दिसंबर 2012 के नौ महीनों की अवधि में उत्पाद शुल्क वसूली में एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 16 प्रतिशत और सेवाकर में 33 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है.
इसके अलावा मुद्रास्फीति में भी नरमी आई है जो कि दिसंबर में 7.2 प्रतिशत रह गई, खासकर विनिर्मित उत्पादों की मुख्य मुद्रास्फीति दिसंबर 2012 में 4.2 प्रतिशत दर्ज की गई. रिजर्व बैंक ने भी नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत कमी की है. ब्याज दरों में कमी से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा.