अगर आपने बीमा कराया है और उसका प्रीमियम नहीं दे पाए हैं तो आपके पैसे डूबने का अब खतरा नहीं है. बीमा नियामक IRDA ने बीमा क्षेत्र में ग्राहकों के फायदे के लिए एक बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है.
अब अप्रैल महीने से ऐसी व्यवस्था हो जाएगी कि बीमा धारक या उसके द्वारा नामित व्यक्ति पॉलिसी के बारे में आसानी से जान सकेगा. एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक नियामक ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे पॉलिसी धारकों के नाम और पते तथा मैच्योरिटी की राशि वगैरह की सूचना अपने वेबसाइट पर डालें. इसके अलावा उन्हें यह भी जानकारी देनी होगी कि पिछले छह महीने से कितनी राशि जमा (अनक्लेम्ड) है.
दरअसल बीमा कंपनियों के पास बीमाधारकों के हजारों करोड़ रुपये पड़े हैं. 2011-12 में यह राशि 4,865 करोड़ रुपये थी जबकि 2012-13 में यह राशि बढ़कर 3,037 करोड़ रुपये हो गई है. इसका कारण यह है कि बीमित व्यक्तियों के पैसे कंपनियों में ही पड़े हुए हैं. लोगों ने जिस उद्देश्य से ये पॉलिसियां खरीदी थीं वह बेकार हो गया है.
इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस के एमडी पी नंदगोपाल ने कहा कि अब पॉलिसी धारक या उनके नामित हर व्यक्ति अपनी पॉलिसी के बारे में हर तरह की सूचना पा सकेगा. इसके बाद वह बकाया राशि का दावा कर सकेंगे. इससे उनके पैसे डूबने का खतरा कम हो जाएगा.
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिनकी पॉलिसी का ओरिजिनल कवर गुम हो जाता है. इससे दावा लेने में उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस मामले में मृत व्यक्तियों के आश्रित तो बिल्कुल लाचार हो जाते हैं. उन्हें कुछ समझ में नहीं आता है. लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत वेबसाइट पर सारी जानकारी आ जाने से समस्या खत्म हो जाएगी.
ऐसे मामलों में नामित व्यक्ति बीमा कंपनी को सारी सूचना देगा मसलन बीमा धारक की मृत्यु की तिथि, कारण वगैरह. उसके बाद वह क्लेम फॉर्म भरकर भी देगा. इसके बाद बीमा कंपनी जरूरी कदम उठाएगी.
IRDA ने बीमा कंपनियों से यह भी कहा है कि वह पॉलिसी से मिलने वाली रकम को बीमाधारक या उसके नामित व्यक्त के खाते में सीधे भेज दे. इसके अलावा भी बीमा कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर की व्यवस्था करेंगी ताकि लोगों को चेक लेने के लिए बीमा कंपनी के दफ्तर में न जाना पड़े.