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हमारी, आपकी सोच से कहीं आगे बढ़ गया है पोर्न का कारोबार

सही और गलत के सांचे से बाहर निकलकर अगर पॉर्न इंडस्ट्री की बात करें तो ग्लोबल स्तर पर इसका आकार मापने की कोशिश पिछले कई दशकों से हो रही है. इसकी गणना में लगी कई वैश्विक संस्थाओं का मानना है कि यह एक हरक्यूलियन टास्क है.

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मोदी सरकार पोर्न वेबसाइट्स पर बैन को लेकर भले ही अब बैकफुट पर है, लेकिन बीते तीन दिनों की गहमागहमी ने पोर्न इंडस्ट्री को लेकर नई और जरूरी बहस जरूर छेड़ दी है. सही और गलत के सांचे से बाहर निकलकर अगर इसके बाजार की बात करें तो ग्लोबल पोर्न इंडस्ट्री का आकार मापने की कोशिश पिछले कई दशकों से लगातार हो रही है. इसकी गणना में लगी कई वैश्विक संस्थाओं का मानना है कि यह एक हरक्यूलियन टास्क है.

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दरअसल, इस इंडस्ट्री का अधिकांश हिस्सा निजी ओनरशिप में है और पोर्न सर्विस के लिए कोई परिभाषित मानक नहीं हैं. हालांकि पिछले दो दशकों में जिस तरह से दुनियाभर में इंटरनेट का विस्तार हुआ है, इसके कारोबारी आंकड़ों पर नजर रखने वाली संस्थाओं को कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि कैसे घर की चाहरदीवारी के अंदर चुपके-चुपके ही सही इंटरनेट पर पोर्न इंडस्ट्री का आकार इतना बड़ा हो गया कि इसका अंदाजा भी लगा पाना अब मुश्कि‍ल है.

ग्लोबल स्तर पर इंटरनेट अकाउंटि‍बिलिटी और फिल्टरिंग सर्विस कवेनेंट की साल 2015 की रिपोर्ट पोर्नोग्राफी स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक-

- इंटरनेट पर मौजूद कुल वेबसाइटों में 12 फीसदी वेबसाइट (4.6 मिलियन) पोर्नोग्राफी कंटेंट परोसती हैं. - दुनियाभर में 1 लाख वेबसाइट चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट परोसती हैं. - गूगल, याहू और बिंग समेत दुनिया के सभी सर्च इंजन पर हर दिन सर्च की जा रही चीजों में कुल 25 फीसदी (68 मिलियन सर्च रिक्वेस्ट) पोर्न सर्च हो रहा है. - पोर्न कंटेंट का सर्वाधिक सर्च और डाउनलोड - प्रति माह इंटरनेट से हो रहे डाउनलोड (कंप्यूटर से कंप्यूटर) का 35 फीसदी डाउनलोड पोर्न कंटेंट है. - इंटरनेट पर सभी सर्च इंजन को प्रतिदिन 1,16,000 चाइल्ड पोर्न कंटेंट का रिक्वेस्ट मिलता है. - इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे कुल लोगों में 42.7 फीसदी लोग पोर्नोग्राफी देखते हैं. - इंटरनेट पर हर महीने पोर्न देखने के लिए 72 मिलियन लोग आ रहे हैं. - वैश्विक स्तर पर औसतन 11 साल की उम्र में लोग पहली बार पोर्न कंटेंट से रूबरू हो जाते हैं.

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फ्री पोर्न से घटा इंडस्ट्री का रेवेन्यू
इन आंकड़ों से एक बात तो साफ है कि ऑनलाइन पोर्न इंडस्ट्री की इंटरनेट यूजर पर मजबूत पकड़ है. इंटरनेट पर मौजूद पोर्न के रेवेन्यू की बात करें तो दुनिया में ऑनलाइन पोर्न से सर्वाधिक रेवेन्यू जेनरेशन अमेरिका में हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2007 में पूरी दुनिया से 20 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू जेनरेट हो रहा था. इसमें अकेले अमेरिका से लगभग 10 बिलियन डॉलर की कमाई हो रही थी. हालांकि, साल 2011 तक इंटरनेट के विस्तार के चलते ग्लोबल और अमेरिकी रेवेन्यू में लगभग 50 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. ऐसा इसलिए हुआ कि इस दौरान इंटरनेट पर फ्री पोर्न का प्रचलन ज्यादा बढ़ गया. रिपोर्ट के मुताबिक 2012 तक इंटरनेट पर पोर्न देखने वालों का लगभग 80 से 90 फीसदी हिस्सा केवल फ्री पोर्न देख रहा था. इसके बावजूद इस समय तक ग्लोबल स्तर पर कुल 97 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू जेनरेट हो रहा है.

मोबाइल पोर्न में आई तेजी
कवेनेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 लाख से अधिक गूगल मोबाइल सर्च की समीक्षा करने के बाद पाया गया कि मोबाइल पर प्रति पांच सर्च में एक सर्च पोर्नोग्राफी कंटेंट के लिए हो रहा है. जानकारों का मानना है कि 2015 के अंत तक मोबाइल पर पोर्न कंटेंट और सर्विस 2.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी, वहीं मोबाइल पर सब्सक्रिप्शन के जरिए पोर्न देखने वालों से लगभग एक बिलियन डॉलर की कमाई होगी. इसके साथ ही मोबाइल पर पोर्न कंटेंट और विडियो सेवा से अगले एक साल में कमाई तीन गुना होने की उम्मीद है. रिपोर्ट का दावा है कि 2017 तक मोबाइल पर एडल्ट विडियो चैट में 25 फीसदी की वृद्धि प्रति वर्ष होने की उम्मीद है. अमेरिका की वेबसाइट टॉप टेन रिव्यू के सीईओ जेरी रोपलातो का मानना है कि ऑननाइन पॉर्न के कारोबार में मोबाइल के चलते तेजी से इजाफा हो रहा है. उनके मुताबिक ग्लोबल पॉर्न इंडस्ट्री का रेवेन्यू साल 2030 तक बढ़कर 340 बिलियन डॉलर का हो जाएगा.

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बैन से भारत के इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर होते प्रभावित
भारत में इंटरनेट पॉर्नोग्राफी पर बैन लगा दिया जाता तो माना जा रहा है कि इंटरनेट डाटा रेवेन्यू में 30 से 70 फीसदी की गिरावट दर्ज होती. इंटरनेट इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों के मुताबिक देश में कई इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (आईएसपी) से हुई उनकी बातचीत से यह खुलासा हुआ है कि इंटरनेट पर कुल ब्राउसिंग का लगभग 30 से 70 फीसदी हिस्सा पॉर्नोग्राफी का रहता है.

 

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