क्यूबा और ईरान पर एतिहासिक अमेरिकी झिझक तोड़कर समझौता करने वाले राष्ट्रपति बराक ओबामा को अब भारत से भी एक समझौते को लेकर ढ़ेरों उम्मीदें हैं. ओबामा का मानना हैं कि ग्लोबल-वार्मिंग जैसे मुद्दों पर वह भारत और चीन जैसे विकासशील देशों से ठोस समझौता कराने में कामयाब हो जाएंगे.
ग्लोबल वार्मिंग है ओबामा के लिए अहम
नोबेल पीस प्राइज से नवाजे जा चुके अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग पर कुछ स्ट्रक्चरल चेंज लाना चाहते है. इसके लिए उन्होंने बचे 18 महीने के अपने कार्यकाल का सबसे अहम मुद्दा बना लिया है. अब बराक ओबामा की सेंट्रल पालिसी है कि किसी तरह भारत और चीन को इसके लिए राजी करें.
बना लिया उदेश्य
राष्ट्रपति ओबामा के बारे में एक खास बात है कि वह कभी भी निराश नहीं होते और जो कुछ भी ठान लेते है उसे पूरा भी कर दिखाते है. 'ओबामा केयर ' से लेकर 'अफगानिस्तान से सेना की वापसी ' उनके मजबूत कैरेक्टर की पहंचान हैं. ग्लोबल वार्मिंग के बारे में ओबामा ने ‘पॉपुलर डेली’ से कहा, ‘यह मेरा उद्देश्य है’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह बात तब कही जब उनसे पूछा गया कि अपने दूसरे कार्यकाल के शेष बचे 18 महीनों में उनकी योजना क्या हासिल करने की है?
ओबामा ने कहा, ‘इस समय मैं जो महसूस कर रहा हूं, वह यह है कि मेरे पास 18 महीने हैं.’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें ग्लोबल वार्मिंग, ईंधन क्षमता मानक जैसे मुद्दों के निपटने और चीन और भारत जैसे देशों की सहमति हासिल होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘हम सफल होंगे!’