सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को बड़ी राहत देते हुए उनके पूंजीगत लाभ पर पिछली तिथि से मैट नहीं लगाने का फैसला किया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने जस्टिस एपी शाह समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है, जिसमें कहा गया है कि एफआईआई पर पूर्व की तिथि से इस प्रकार का कर लगाने का कोई आधार नहीं है.
इस साल के बजट में एफआईआई को पूंजीगत लाभ पर पहली अप्रैल 2015 से मैट पर छूट पहले ही दी जा चुकी है, लेकिन उससे पहले की अवधि के लिए मैट देनदारी की तलवार उन पर लटकी हुई थी. उन्होंने कहा कि सरकार ने एफआईआई पर मैट लगाए जाने के संदर्भ में मामले को स्पष्ट करने के लिए आयकर कानून में संशोधन का निर्णय किया है. इस बीच सीबीडीटी के फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों से कहा जाएगा कि वह एफआईआई के खिलाफ मामला आगे नहीं बढ़ाएं.
बना हुआ है बिकवाली का दबाव
यह घोषणा ऐसे समय की गई है जब वैश्विक वित्तीय उठा-पटक की वजह से शेयर बाजारों में काफी उतार-चढ़ाव आ रहा है. एफइआईआई उभरते बाजारों से अपना पैसा निकाल रहे हैं, जिसकी वजह से बिकवाली का दबाव बना हुआ है.
जेटली ने कहा कि कर नोटिस को लेकर कुछ एफआईआई ने जो कानूनी रास्ता अपनाया है, वह समय खपाने वाला है और इसीलिए सरकार ने इस मामले के समाधान के लिये वैकल्पिक रास्ता अपनाने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा, 'हमारी यह सोची-विचारी राय है कि जस्टिस शाह समिति ने जो वैकल्पिक उपाय सुझाया है उसके तहत आयकर कानून में जरूरी संशोधन की आवश्यकता होगी. उसे आगे बढ़ाया जाएगा और हम उस संशोधन को लाएंगे.'
-इनपुट भाषा से