सरकार ने आखिर गुरुवार को घरेलू प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अगले साल अप्रैल से देश में पैदा होने वाली प्राकृतिक गैस के दाम दोगुने हो जायेंगे, इससे बिजली, यूरिया तथा सीएनजी की लागत बढ़ेगी.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में सभी तरह की घरेलू गैस के दाम रंगराजन समिति द्वारा सुझाये गये फार्मूले के अनुरूप तय किये जाने को मंजूरी दे दी गई.
डॉ. सी. रंगराजन समिति ने घरेलू स्तर पर उत्पादित सभी गैस के दाम के लिये जो फार्मूला सुझाया है उसके अनुसार गैस के दाम मौजूदा 4.2 डालर से बढ़कर अगले साल अप्रैल में 8.4 डालर प्रति 10 लाख मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) हो जायेंगे.
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एम. वीरप्पा मोइली से इस बारे में जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘सीसीईए ने गैस के दाम के लिये रंगराजन समिति के फार्मूले को मंजूरी दे दी. यह फार्मूला एक अप्रैल 2014 से लागू होगा और पांच साल के लिये वैध होगा.’ गैस के नये दाम सभी तरह की गैस पर समान रूप से लागू होंगे.
सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी द्वारा प्रशासनिक मूल्य प्रणाली (एपीएम) वाली गैस हो या फिर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के केजी बेसिन से निकलने वाली गैस, 1 अप्रैल 2014 से सभी तरह की गैस का मूल्य रंगराजन समिति के फार्मूले के अनुरूप तय होगा.
रंगराजन समिति ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय केन्द्रों पर होने वाले गैस सौदों और तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के दीर्घकालिक आयात मूल्य को मिलाकर उनके औसत मूल्य के अनुरूप घरेलू गैस का दाम तय करने का फार्मूला सुझाया है. इसके अनुसार अगले साल अप्रैल तक गैस का दाम 8.42 डालर प्रति एमएमबीटीयू और उसके अगले साल 10 डालर प्रति एमएमबीटीयू तक पहुंच जायेगा.
रिलायंस के केजी बेसिन से उत्पादित गैस का दाम 4.205 डालर प्रति एमएमबीटीयू पांच साल के लिये तय किया गया था. यह समयसीमा अगले साल मार्च में समाप्त हो रही है. ओएनजीसी की एपीएम गैस का दाम जून 2010 में 1.79 डालर से बढ़ाकर 4.2 डालर प्रति एमएमबीटीयू कर दिया गया था.
देश में पैदा होने वाली कुल गैस में एमपीएम मूल्य प्रणाली वाली गैस का हिस्सा 60 प्रतिशत तक है. देश में कुल मिलाकर प्रतिदिन 11 करोड़ घनमीटर गैस का उत्पादन होता है जिसमें रिलायंस प्रतिदिन 1.40 करोड़ घनमीटर गैस का उत्पादन करती है.
गैस के दाम में इसका इस्तेमाल करने वाले उद्योगों और उनसे जुड़े मंत्रालयों ने तीखा विरोध किया. उर्जा और उर्वरक मंत्रालय के साथ साथ वामपंथी दलों ने गैस मूल्य वृद्धि का विरोध किया. वामदलों ने आरोप लगाया कि यह फैसला रिलायंस के पक्ष में किया गया है.
हालांकि, पेट्रोलियम मंत्रालय का मानना है कि तेल एवं गैस की खोज करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिये मूल्यवृद्धि जरूरी हो गई है. इससे सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी.