अधूरे प्रोजेक्ट या डेवलपर के दिवालिया होने के आवेदन कर देने की वजह से फंस चुके मकान खरीदारों, निवेशकों की मदद के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार को अध्यादेश ला सकता है. इस अध्यादेश से फंसे हुए मकान खरीदारों के चेहरों पर कुछ मुस्कान आ सकती है.
सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्शी कोड (IBC) में सरकार ऐसा संशोधन कर सकती है जिससे हजारों मकान खरीदारों को राहत मिल सके. देश भर में रियल एस्टेट कंपनियों के तमाम ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो वित्तीय रूप से दिक्कत में चल रहे हैं और पैसा देने के बाद भी खरीदारों को मकान नहीं मिल रहा. खरीदार अपना पैसा वापस लेने के लिए कानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं.
यह अध्यादेश मंगलवार को कैबिनेट के एजेंडे में शामिल नहीं किया गया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसे कैबिनेट की बैठक के दौरान एक टेबल्ड आइटम के रूप में लाया जा सकता है. इस अध्यादेश के द्वारा बैंकरप्शी कोड और रियल एस्टेट एक्ट के उन जटिल प्रावधानों को साफ किया जाएगा, जिनकी वजह से मकान खरीदारों के हितों का बचाव कर पाना मुश्किल होता है.
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्शी कोड के मौजूदा स्वरूप में मकान खरीदारों को 'अनसेक्योर्ड क्रेडिटर' माना जाता है. इसकी वजह से होता यह है कि जब कोई रियल एस्टेट कंपनी मकान देने के अपने वादे को पूरा नहीं करती और इनसॉल्वेंसी का सामना करती है तो मकान खरीदारों की इस प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होती. इसमें शामिल होने का अधिकार सिर्फ बैंक और वित्तीय कर्जदाताओं को होता है.
सूत्रों के मुताबिक संशोधन के द्वारा मकान खरीदारों को भी वित्तीय कर्जदाताओं के समकक्ष लाया जाएगा और कंपनी के दिवालिया होने की प्रक्रिया में उसकी भी भूमिका होगी. सीधे शब्दों में कहें तो कंपनी के दिवालिया होने के बाद निवेशक अपनी रकम वापस हासिल कर पाएंगे.