सरकार ने बताया कि देश में कॉल ड्रॉप की समस्या को कम करने के लिए की जा रही कोशिशों में सफलता मिल रही है. इसके साथ ही नए मोबाइल टावर लगाकर इस दिशा में सख्ती से कार्रवाई की जा रही है और निगरानी रखी जा रही है.
कॉल ड्रॉप पर सख्ती से हो रहा है काम
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में रामचरित्र निषाद के प्रश्न के जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर उनका विभाग कॉल ड्रॉप की समस्या में कमी लाने के लिए सख्ती से काम कर रहा है.
29,000 नए टावर
उन्होंने कहा कि सरकार के दबाव में मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों ने देश में 29,000 नए टावर लगाए हैं जिनमें से 2,200 नए टावर दिल्ली में लगाए गए हैं. प्रसाद ने कहा कि बीएसएनएल ने 4,500 मोबाइल टावर नए लगाए हैं.
उन्होंने कहा कि उनका विभाग हर सप्ताह इस प्रक्रिया पर निगरानी रखता है और पूरी सख्ती से काम कर रहा है.
दंड के प्रावधान पर विचार
कॉल ड्रॉपिंग के संबंध में मोबाइल ऑपरेटरों को किसी तरह के दंड के प्रावधान के सवाल पर मंत्री ने कहा कि ट्राई ने जुर्माने का प्रावधान बनाया है जिसके खिलाफ मोबाइल ऑपरेटरों ने अदालत में गुहार लगाई और मामला विचाराधीन है.
रेडियेशन से नुकसान निराधार
उन्होंने मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडियेशन से आसपास रहने वाले लोगों को कैंसर होने की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 30,000 से अधिक लोगों पर अध्ययन कर इस आशंका को पूरी तरह निराधार साबित किया है.
दिक्कत हो तो, मेडिकल दें
प्रसाद ने कहा कि मोबाइल फोन उपभोक्ताओं के सामने आने वाली कॉल ड्रॉप की समस्या को समाप्त करने के लिए नए मोबाइल टावर लगाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि अगर कोई मोबाइल टॉवर से किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत का मेडिकल प्रमाण देता है तो उनका विभाग उसे जरूर देखेगा. प्रसाद ने यह भी बताया कि मोबाइल टॉवरों की नई तकनीक लाने और एक टावर पर अधिक कंपनियों की साझेदारी की प्रक्रिया चल रही है.
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कुछ निवासियों की मोबाइल टावर हटाने की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर रेडियेशन से दिक्कत है तो आप मोबाइल का इस्तेमाल छोड़ें.
इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि अंतर-मंत्री स्तरीय समिति की सिफारिशों का उल्लंघन करके उनके क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाया जा रहा है. याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति आर एस एंडलॉ ने वसंत कुंज के पॉकेट-4 के निवासियों को सलाह दी कि अगर वे अपने इलाके में मोबाइल टावर लगाए जाने के खिलाफ हैं और मोबाइल टावरों से होने वाले हानिकारक विकिरण को चिंतित हैं तो मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना बंद करें और फिर से लैंडलाइन फोन का रूख कर लें.
इलाके के निवासियों का कहना था कि टावर उनकी कालोनी के भीतर लगाया जा रहा है जो मंत्री स्तरीय समिति की सिफारिशों का उल्लंघन है. उनका कहना है कि उनकी कॉलोनी में स्कूल है, जबकि समिति ने कहा था कि ये टावर आवासीय इलाकों अथवा स्कूलों या अस्पतालों के निकट नहीं लगाए जा सकते. अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सिफारिशों पर विचार किया था और रिपोर्ट के कुछ पहलुओं पर अमल करना स्वीकार किया तथा ऐसी स्थिति में रिपोर्ट के कुछ पहलुओं को स्वीकार नहीं करने के लिए सरकार को गलत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यह नीतिगत निर्णय है.