वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्वस्त किया कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की दर 18 प्रतिशत से नीचे होगी. इसके साथ ही उन्होंने एक प्रतिशत अतिरिक्त कर को हटाने की कांग्रेस की मांग को भी स्वीकार करने के संकेत दिए. लेकिन जीएसटी दर को संविधान संशोधन विधेयक में शामिल करने की मांग पर कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है.
जीएसटी से राजस्व का नुकसान होगा
राज्यसभा में कांग्रेस के विरोध की वजह से जीएसटी विधेयक पारित नहीं हो पा रहा है. राज्यसभा में सत्ताधारी राजग अल्पमत में है. जीएसटी पर उद्योगों के साथ एक परिचर्चा बैठक में जेटली ने कहा अंतरराज्यीय बिक्री कारोबार पर प्रस्तावित एक प्रतिशत अतिरिक्त कर का प्रस्ताव गुजरात और तमिलनाडु की सरकारों ने किया था. उनका कहना था कि जीएसटी मुख्यत: गंतव्य आधारित कर है इसलिए उन्हें राजस्व का नुकसान होगा.
पांच साल तक राजस्व नुकसान की भरपाई
जेटली ने कहा, मैंने संसद के अपने दोस्तों से कहा है कि मैं विनिर्माण आधारित राज्यों के पास इस मुद्दे पर बातचीत के लिए जाने को तैयार हूं कि हमने आपको पांच साल तक राजस्व नुकसान की भरपाई की गारंटी दी है. इसलिए एक प्रतिशत अतिरिक्त कर के मामले को सुलझाया जा सकता है.
मानक दर 18 प्रतिशत से काफी कम होगी
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के नेतृत्व वाली समिति की सिफारिशों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह करीब करीब तय है कि जीएसटी की मानक दर 18 प्रतिशत से कम होगी और यह 18 प्रतिशत से काफी कम होगी. जीएसटी में सभी तरह के अप्रत्यक्ष कर जैसे उत्पाद शुल्क, बिक्री कर और सेवाकर समाहित हो जाएंगे. जीएसटी लागू होने के बाद एक केन्द्रीय जीएसटी यानी सी-जीएसटी और एक राज्य जीएसटी यानी एस-जीएसटी होगा.