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RBI के गवर्नर रघुराम राजन के पर कतरने की तैयारी में है मोदी सरकार

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की मौद्रिक नीति तय करने संबंधी शक्तियां कम होने वाली हैं. मोदी सरकार ने आरबीआई के गवर्नर के विशिष्ट अधिकारों में कटौती करने का प्रस्ताव तमाम विभागों को भेजा है.

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राजन की शक्तियों में कटौती की तैयारी में है मोदी सरकार
राजन की शक्तियों में कटौती की तैयारी में है मोदी सरकार

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की मौद्रिक नीति तय करने संबंधी शक्तियां कम होने वाली हैं. मोदी सरकार ने आरबीआई के गवर्नर के विशिष्ट अधिकारों में कटौती करने का प्रस्ताव तमाम विभागों को भेजा है. एक बिजनेस चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्ताव में ये सुझाव दिए गए हैं.

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  • नई समिति में सरकार के 4 सदस्य और आरबीआई के 3 सदस्य होंगे. आरबीआई के गवर्नर इस कमिटी की अध्यक्षता करेंगे लेकिन उनके पास वीटो पावर नहीं रहेगी जैसा कि पहले सुझाव दिया गया था. हालांकि उनके पास वोट करने का अधिकार होगा.
  • इसके अलावा प्रस्ताव में यह सुझाव दिया गया है कि आरबीआई के गवर्नर के अलावा बैंक 2 सदस्यों समिति के लिए नामित करेंगे जिसमे से एक आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और एक अधिकारी होगा.
  • मौद्रिक नीति की इस समिति का फैसला आरबीआई को मानना होगा और फैसला बहुमत के आधार पर लिया जाएगा. टाई होने पर आरबीआई के गवर्नर अपने वोट का इस्तेमाल करेगा.
  • मौद्रिक नीति समिति आरबीआई का बेंचमार्क ब्याज दरें करेगी और महंगाई दर के लक्ष्य तय करेगी.
  • मौजूदा सिस्टम में आरबीआई गवर्नर के पास एक टेक्निकल एडवाइजरी कमिटी है जो मौद्रिक नीति पर सलाह देती है लेकिन वह कमिटी के विचारों को स्वीकार भी कर सकते हैं और खारिज भी.
  • शुरू में सरकार के एक प्रस्ताव पर विवाद हो गया था जिसमें प्रावधान था कि सरकार मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी में अपने सदस्यों की बहुमत नियुक्त करेगी. इस प्रस्ताव में आरबीआई गवर्नर के वीटो पावर को छीनने का सुझाव भी दिया गया था.
  • आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन पहले से ही इस फैसले के पक्ष में हैं कि ब्याज दरों पर फैसला लेने का काम एक व्यक्ति की बजाय एक समिति का होना चाहिए.
  • वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के गठन को लेकर सरकार और आरबीआई के बीच एकमत है. उन्होंने कहा था कि यह प्रस्ताव कई अन्य देशों के सिस्टम के हिसाब से ही किया जा रहा है.
  • नए प्रस्ताव है ये कहा गया है कि समिति हर 6 महीने पर 6 से 18 महीने तक के महंगाई दर के लक्ष्य के साथ मीडियम टर्म इंफ्लेशन अनुमान प्रकाशित करेगी.
  • समिति तुरंत ही मीटिंग का सारा लेखा-जोखा प्रकाशित करेगी इसके साथ ही कमिटी के वोटिंग पैटर्न को सार्वजनिक किया जाएगा.

 

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