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प्रिंटेड नहीं इस बार सिर्फ डिजिटल होगा आम बजट और इकोनॉमिक सर्वे

मोदी सरकार ने केन्द्रीय बजट और इकोनॉमिक सर्वे की कम से कम कॉपी छापने का फैसला लिया है. यह कदम ग्रीन इनिशिएटिव के तहत उठाया गया है. इस फैसले से साफ है कि आगामी बजट की प्रिंडेट कॉपी मीडिया और आम आदमी को नहीं दी जाएगी.

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इकोनॉमिक सर्वे और आम बजट की प्रति सिर्फ डाउनलोड से
इकोनॉमिक सर्वे और आम बजट की प्रति सिर्फ डाउनलोड से

मोदी सरकार ने केन्द्रीय बजट और इकोनॉमिक सर्वे की कम से कम कॉपी छापने का फैसला लिया है. यह कदम ग्रीन इनिशिएटिव के तहत उठाया गया है. इस फैसले से साफ है कि आगामी बजट की प्रिंडेट कॉपी मीडिया और आम आदमी को नहीं दी जाएगी. लिहाजा, अब मीडिया को वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर बजट और इकोनॉमिक सर्वे की डिजिटल कॉपी का सहारा लेना होगा.

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वित्त मंत्रालय की तैयारी के मुताबिक इस साल बजट और इकोनॉमिक सर्वे की सिर्फ 788 प्रति प्रिंट की जाएगा. यह प्रिंटेड प्रति सिर्फ राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को दी जाएगी.

वहीं आम आदमी और मीडिया के लिए बजट और इकोनॉमिक सर्वे की डिजिटल कॉपी सदन के पटल पर रखे जाने के तुरंत बाद वेबसाइट पर उपलब्ध हो जाएगी. इकोनॉमिक सर्वे 31 जनवरी और आम बजट 1 फरवरी को सदन में पेश किया जाएगा. केन्द्र सरकार का यह फैसला वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी का इन डॉक्युमेंट्स का कम से कम प्रिंट कराने के सुझाव के बाद लिया गया है.

केन्द्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बजट 2016 के दौरान केन्द्र सरकार ने बजट और इकोनॉमिक सर्वे की प्रिंटिंग को 60 फीसदी तक कम करते हुए आम बजट की महज 2,047 प्रति प्रिंट कराई थी. वहीं बजट 2015 के दौरान कुल 5,100 प्रति प्रिंट कराई गई थी.

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गौरतलब है कि बजट 2016 की एक प्रिति की प्रिंटिंग कराने में केन्द्र सरकार ने 3,450 रुपये खर्च किए थे. वहीं बजट और इकोनॉमिक सर्वे की फ्री कॉपी सदस्यों और मीडिया को देने के बाद अतिरिक्त कॉपी को सब्सिडी के साथ 1,500 रुपये में लोकसभा के काउंटर से बेचा जाता था. इस दर पर बजट की प्रति छपवाने में केन्द्र सरकार को 2016 में 70 लाख रुपये से अधिक खर्च करना पड़ा था.

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