केंद्र सरकार ने गोल्ड एक्सचेंज का विचार दिया है. यह एक पारदर्शी मंच होगा जहां आभूषण निर्माता अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर होने के बजाय मूल्यवान धातु स्थानीय स्तर पर खरीद सकते हैं.
पारदर्शी तरीके से कारोबार लिए यह एक अच्छा कदम
वित्त विभाग में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा, यह केवल एक विचार है. क्या हम गोल्ड एक्सचेंज के बारे में सोच सकते हैं जहां पारदर्शी तरीके से कारोबार हो सके. एक ऐसा मंच जहां जिनके पास अतिरिक्त सोना है, वह जरूरतमंद को बेच सकें.
आयात पर निर्भरता घटेगी
इंडियन बुलियन एंड जूलरी एसोसिएशन द्वारा आयोजित तीसरे भारत अंतरराष्ट्रीय सर्राफा शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा, आभूषण निर्माताओं को सोने की अस्थायी रूप से जरूरत होती है, इसीलिए आयात के बजाय वे इसे स्थानीय रूप से खरीद सकते हैं.
सोने के लिए अलग से मंत्रालय
एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक ऑल इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन की मांग है कि देश में सोने का अलग से एक्सचेंज खुले. इसके अलावा सोने के कारोबार के लिए सरकार अलग मंत्रालय बनाए. ऑल इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन इसके लिए सरकार से बातचीत भी कर रहा है.
एक योजना सफल, दूसरी विफल
सरकारी स्वर्ण बॉन्ड तथा स्वर्ण मौद्रिकरण योजना के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि जहां सरकारी बॉन्ड योजना सफल रही है और इसके तहत 246 करोड़ रुपये के आवेदन आए, वहीं स्वर्ण मौद्रिकरण योजना विफल साबित हुई. इसके तहत केवल 500 ग्राम आभूषण आए.
स्वर्ण बॉन्ड के बारे में उन्होंने कहा कि 246 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड के लिये 63,000 आवेदन आए हैं. आर्थिक वृद्धि के बारे में दास ने कहा कि कुल मिलाकर वृद्धि 2015-16 में 7.5 फीसदी के आसपास रहेगी.