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मुसीबत बनी मोदी सरकार की मुद्रा स्‍कीम! 17 हजार करोड़ रुपये फंसे

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत आवंटित 6.04 लाख करोड़ रुपये में करीब 3 फीसदी राशि नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) हो गई है.

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सरकार ने सदन को बताया
सरकार ने सदन को बताया

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  • 6.04 लाख करोड़ में करीब 3 फीसदी राशि एनपीए
  • यह राशि कुल वितरित रकम का 2.86 फीसदी है

मोदी सरकार की महत्‍वाकांक्षी मुद्रा लोन योजना अब मुसीबत बनती जा रही है. दरअसल, सरकार ने सदन को बताया है कि इस योजना के तहत आवंटित 6.04 लाख करोड़ रुपये में करीब 3 फीसदी राशि नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए हो गई है.

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में बताया, ''मार्च 2019 तक मुद्रा योजना की करीब 17,251 करोड़ रुपये की राशि एनपीए हो गई थी. यह राशि कुल वितरित रकम का 2.86 फीसदी है. '' अनुराग ठाकुर के मुताबिक इस योजना के तहत 6.04 लाख करोड़ रुपये वितरित की जा चुकी है. सरकार की ओर से यह जानकारी ऐसे समय में दी गई है जब हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा लोन स्‍कीम में कर्ज वसूली की बढ़ती समस्या को लेकर चिंता जाहिर की है.

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आरबीआई ने जाहिर की थी चिंता

बीते दिनों एक कार्यक्रम में आरबीआई के डिप्‍टी गवर्नर एम के जैन ने कहा, ‘‘मुद्रा योजना ने जहां एक तरफ देश के कई लाभार्थियों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में बड़ी मदद की तो वहीं इसमें कई कर्जदारों के बीच नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए के बढ़ते स्तर को लेकर कुछ चिंता भी है.’’

इस मामले में आरबीआई के डिप्‍टी गवर्नर ने बैंकों को सुझाव भी दिया था. उन्‍होंने कहा था कि बैंकों को इस तरह के कर्ज देते समय दस्तावेजों की जांच-परख के स्तर पर कर्ज किस्त के भुगतान की क्षमता पर भी गौर करना होगा. इसके अलावा ऐसे कर्ज का उनकी पूरी अवधि तक करीब से निगरानी करें.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में मुद्रा लोन योजना की शुरुआत की थी. यह योजना सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को जरूरी वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई है. इसके तहत लोगों को 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के कर्ज बांटे जा रहे हैं.

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