कॉल ड्रॉप यानी बात करते-करते ही कॉल कट जाने की समस्या बढ़ती जा रही है. इस पर गंभीर चिंता जताते हुए सरकार ने मोबाइल नेटवर्कों के विशेष ऑडिट का आदेश दिया है. इसके अलावा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को मोबाइल आपरेटरों की सेवा गुणवत्ता के आधार पर प्रोत्साहित अथवा हतोत्साहित करने की एक प्रणाली बनाने को कहा गया है.
कॉल ड्रॉप की शिकायतों पर जुर्माना लगाने की तैयारी
दूरसंचार आपरेटरों के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में स्पेक्ट्रम दिया गया है. नेटवर्क का विकसित करने का काम व जिम्मेदारी उनकी है. हालांकि, प्रसाद ने इस पर सहमति जताई कि विकिरण (रेडिएशन) व अन्य चिंताओं की वजह से मोबाइल टावर लगाने को साइटों की कमी है, इससे आपरेटरों की सेवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. आपरेटर कई बार कॉल ड्राप के लिए इसको एक वजह बता चुके हैं. मंत्री ने कहा कि भारत में जो विकिरण नियम क्रियान्वित किए गए हैं वे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों से दस गुना कड़े हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या कॉल ड्रॉप के लिए आपरेटरों पर किसी तरह का जुर्माना लगाया जाएगा, प्रसाद ने कहा, हमने ट्राई को प्रोत्साहित व हतोत्साहित के लिए ढांचा बनाने का आग्रह भेजा है.
विशेष ऑडिट से कॉल ड्रॉप की समस्या का होगा समाधान
ट्राई को सेवाओं की गुणवत्ता के मानदंड बनाने और उनका अनुपालन सुनिश्चित कराने का अधिकार दिया गया है. उन्होंने कहा, मैंने विभाग को सेवाओं की गुणवत्ता के मानदंडों का विशेष आडिट करने का निर्देश दिया है, जो नेटवर्क के प्रदर्शन पर केंद्रित होगा. यह काम विभाग के दूरसंचार प्रवर्तन, संसाधन व निगरानी प्रकोष्ठ (टर्म) द्वारा किया जाएगा. गौरतलब है कि इस आडिट से समस्या को समझने, मानदंडों की प्रकृति को जानने में मदद मिलेगी. साथ ही इसमें यह भी सुझाव दिया जाएगा कि स्थिति में कैसे सुधार किया जा सकता है. पहले चरण में दूरसंचार विभाग द्वारा आडिट सभी महानगरों व राज्यों की राजधानी में किया जाएगा.
क्या मोबाइल टावरों से रेडिएशन है खतरनाक?
इस मुद्दे की समीक्षा करते हुए दूरसंचार मंत्री ने कहा कि शहरों में डाटा ट्रैफिक में इजाफे और स्मार्ट फोनों की बढ़ती संख्या की वजह से दूरसंचार नेटवर्क भीड़भाड़ वाला हो गया है. विभिन्न निष्कर्षों व विश्व स्वास्थ्य संगठन के निष्कर्ष का हवाला देते हुए प्रसाद ने कहा, कॉल ड्रॉप का मुद्दा व बीटीएस (मोबाइल टावरों) को हटाने का अभियान साथ-साथ नहीं चल सकते. यदि कोई रेडिएशन के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में कोई पुख्ता प्रमाण देता है, तो मैं उसे देखने को तैयार हूं. मुद्दा यह नहीं है कि रेडिएशन है या नहीं, बल्कि मुद्दा है कि यह खतरनाक है या नहीं.