रविवार को हुए रेफेरेंडम में ग्रीस की जनता ने कर्जदाताओं की ओर से रखी गई कड़ी शर्तों को
मानने से इंकार कर दिया. आईएमएफ और यूरोपियन यूनियन ने ग्रीस को नए बेल आउट पैकेज
के लिए खर्चों में कटौती करने की कड़ी शर्त लगाई थी जिसपर फैसला लेने के लिए ग्रीस के
राष्ट्रपति एलेक्सिस सिप्रास ने 5 जुलाई को देश में रिफेरेंडम कराया.
इस रेफेंरेंडम के मुताबिक
देश के 61 फीसदी मतदाताओं ने कर्जदाताओं के दिए प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला है और मात्र
39 फीसदी लोगों ने इसके पक्ष में अपना वोट दिया है.
ग्रीस के फैसले का एशियाई बाजारों पर असर
ग्रीस सरकार के रेफेरेंडम से साफ हो गया है कि वह अब कर्जदाताओं की शर्तों को नहीं मानेगा.
ग्रीस की जनता के इस फैसले के बाद सोमवार सुबह से ही एशियाई बाजारों में गिरावट देखने को
मिली और ज्यादातर बाजारों ने हफ्ते के पहले दिन कारोबार की शुरुआत धीमी की. इसका असर
भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिला और सभी प्रमुख इंडेक्स लाल निशान में शुरू हुए.
गहरा सकता है ग्रीस के बैंकों का संकट
रेफेरेंडम के बाद ग्रीस के वित्त मंत्री यानिस वेराओफाकिस ने कहा कि ग्रीस को यूरोजोन से बाहर
नहीं किया जा सकता. जानकारों का मानना है कि अगर यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने नया कर्ज देकर
तत्काल मदद नहीं की तो अगले कुछ दिनों में ग्रीस के बैंकों की नकदी खत्म हो जाएगी और
इससे देश की जनता में आक्रोश बढ़ सकता है. वैश्विक अर्थव्यवस्था के जानकार मान रहे हैं कि
ग्रीस अपने नए भुगतान की तारीख पर एक बार फिर डिफाल्ट कर सकता है जिससे यह संकट
और गहरा जाएगा. फिलहाल ग्रीस के सभी बैंक 7 जुलाई तक बंद हैं.
एंजेला मर्केल और फ्रांस्वा ओलांद करेंगे मुलाकात
रेफेरेंडम के नतीजों के बाद सोमवार को जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति
फ्रांस्वा ओलांद पेरिस में मुलाकात कर सकते हैं. गौरतलब है कि दोनों ही देशों ने ग्रीस को बड़ा
कर्ज दिया है और रेफेरेंडम के नतीजों के बाद वह अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे.
भारत पर असर?
भारतीय बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर ग्रीस संकट का कोई
खास असर नहीं होगा. हालांकि विदेशी बाजारों में ग्रीस के रेफेरेंडम के बाद गिरावट देखने
को मिल सकती है. लेकिन लंबी अवधि में बाजार पर इसका कोई असर नहीं होगा. हाल में
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी कहा था कि ग्रीस संकट का भारत पर खास असर नहीं
देखने को मिलेगा.