जीएसटी रेट घटने के बाद भी इनका फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने वाली कंपनियों पर केंद्र सरकार लगातार शिकंजा कसती जा रही है. इस मामले में मैकडोनल्ड रेस्तरां , होंडा डीलर सेंटर समेत अन्य कई कंपनियों को नोटिस भेजने के बाद अब हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) को भी नोटिस भेजा गया है. यह नोटिस मुनाफाखोरी विरोधी कानून के तहत भेजा गया है.
रक्षोपाय महानिदेशालय (डीजीएस) ने तेल और साबुन जैसे एफएमसीजी उत्पादों पर मिल रहे फायदे को ग्राहकों के साथ न बांटने पर HUL को यह नोटिस भेजा गया है. आरोप है कि कंपनी जीएसटी के तहत रेट घटने के बावजूद इनका फायदा ग्राहकों को नहीं दे रही है. बता दें कि DGS वित्त मंत्रालय की जांच इकाई है.
सूत्रों के मुताबिक स्थायी समिति ने इस मामले को डीजीएस के पास भेजा था. इस नोटिस में कंपनी से पूछा गया है कि क्या उसने जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद घटी दरों का फायदा ग्राहकों को दिया है या नहीं. HUL ने नोटिस मिलने की बात स्वीकारी है. उसने कहा है कि वह इस मामले का ब्यौरा जुटा रहे हैं और जल्द ही कंपनी इस मामले में अपना पक्ष रखेगी.
बता दें कि इससे पहले मैकडोनल्ड रेस्तरां, होंडा डीलर सेंटर समेत 5 को मुनाफाखोरी विरोधी कानूनी के तहत नोटिस भेजा गया था. इन पर भी यही आरोप लगा था कि इन्होंने जीएसटी रेट कम होने पर इनका फायदा ग्राहकों को नहीं दिया.
मुनाफाखोरी विरोधी समिति क्या है
अगर आम लोगों को जीएसटी के घटे रेट का फायदा नहीं दिया जाता है. या फिर उनसे जीएसटी के नाम पर किसी भी तरह की धोखाधड़ी की जाती है, तो यह समिति उनके हितों की रक्षा करेगी. अगर कोई दुकानदार आपके साथ धोखाधड़ी या मुनाफाखोरी करने का दोषी पाया जाता है, तो मुनाफाखोरी विरोधी समिति उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकती है. इसके लिए समिति चाहे तो दुकानदार को उत्पाद की कीमतें घटाने के लिए कह सकती है. एक केंद्रीय स्तर पर और एक राज्य स्तर पर मुनाफाखोरी विरोधी समिति है.
ये है प्रावधान
इसके अलावा वह दुकानदार को प्राप्तकर्ता को मूल्य में कमी के रूप में नहीं दिए गए लाभ के बराबर राशि लौटाने का आदेश दे सकती है. दुकानदार को यह राशि 18 फीसदी ब्याज के साथ देनी होगी. यह समिति दुकानदार पर जुर्माना भी लगा सकती है. किसी दुकानदार पर कितना जुर्माना लगेगा. यह इस पर निर्भर करेगा कि उसकी तरफ से की गई मुनाफाखोरी कितने बड़े स्तर की है.
हो सकता रजिस्ट्रेशन कैंसल
समिति के पास यह भी अधिकार है कि वह चाहे तो आपूर्तिकर्ता का रजिस्ट्रेशन भी कैंसल कर सकती है. इसके लिए दोषी को कारोबार करने में काफी दिक्कते पेश आ सकती हैं. केंद्र सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक अगर मुनाफाखोरी का मामला केंद्र स्तर का बनता है, तो इसकी शिकायत आपको राष्ट्रीय स्तर पर देनी होगी.
अगर शिकायत राज्य स्तर की है, तो इसके लिए आपको राज्य स्तरीय मुनाफाखोरी विरोधी समिति की स्थायी समिति के सामने अपनी शिकायत करनी होगी.