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ग्राउंड रिपोर्टः GST ने बदली एशिया के सबसे बड़ा कपड़ा बाजार की सूरत

रविवार को एशिया का सबसे बड़ा कपड़ा थोक बाजार गांधी नगर का नजारा बदला-बदला सा साथ था. आमतौर पर गांधी नगर की गलियों में पैदल चलना बेहद मुश्किल होता हैं.

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रविवार को एशिया का सबसे बड़ा कपड़ा थोक बाजार गांधी नगर का नजारा बदला-बदला सा साथ था. आमतौर पर गांधी नगर की गलियों में पैदल चलना बेहद मुश्किल होता हैं. लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद रविवार को बाजार सूना सूना था. जिन सड़कों पर पैदल चलना मुश्किल होता हैं. वहां आराम से कार चल रही थी. वो भी बिना रोक-टोक के. शुक्रवार को जीएसटी से पूरा देश एक सिंगल कॉमन मार्केट में तब्दील हो गया. सरकार ने इसे दूसरी आजादी करार दिया है. लेकिन इस आजादी से देशभर के कपड़ा व्यापारियों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

कपड़े पर लगा जीएसटी

कपड़े पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं हुआ करता था. लेकिन जीएसटी के लागू होने से कपड़ा भी टैक्स के दायरे में आ गया. व्यापारियों का कहना है कि सरकार को जीएसटी लागू करने से पहले व्यापारियों और सीए को अच्छी तहस से ट्रेनिंग देनी चाहिए थी. जिससे व्यापार करने में किसी तरह का कोई गतिरोध ना उत्पन हो. लेकिन जीएसटी के लागू से से रोजमर्रा के कामों पर खासा असर दिखाई दे रहा है.

 क्या है कपड़ा व्यापारियों की परेशानी

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जीएसटी लगने से कपड़ा व्यापारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कपड़ा व्यापारी अमित अग्रवाल का कहना है कि माल को अपने गोदाम पर पहुंचाना हो तो कैसे पहुंचाएंगे और गोदाम से माल को दुकान पर लाना हो तो कैसे लाएंगे. किसी व्यापारी का गोदाम 5 से 10 किलोमिटर की दूसरी पर है. तो उस माल को किस बिल के तहत इधर उधर लेकर जाएगा. अगर व्यापारी को कुछ सामना अपने घर ले जाना हो तो वो किन कागज के बूते माल को बाहर निकालेगा. पहले कपड़े पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं था इसलिए लाने- लेजाने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती थी. इसकी जानकारी व्यापारियों के साथ-साथ सीए तक के पास नहीं हैं. ऐसे में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

 जॉबवर्क में आ रही है दिक्कत

जीएसटी लागू होने की वजह से कपड़ा व्यापारियों को जॉबवर्क में सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है. एक व्यापारी ने धागा खरीदा उस धागे से कपड़ा बनाया. फिर रंगाई के लिए दिया. ऐसे में जीएसटी के किस फॉर्मेट के तहत इस प्रक्रिया को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा. यह भी व्यापारियों को नहीं पता. कपड़ा व्यापारी संजय अग्रवाल का कहाना है, इसकी जानकारी को हमारे सीए के पास भी नहीं है. फिर किसके पास जाएं. संजय ने बताया कि अगर हम यह मानकर चलें कि धागे पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगा है, नीटिंग पर भी पांच प्रतिशत जीएसटी लगा और डाइंग पर भी पांच प्रतिशत लगा है. लेकिन डायर के कैमिकल में पर तो 18 फीसदी लगा जीएसटी लगा है. ऐसे में भला कपड़ा किस हिसाब से बेचा जाएगा. इसकी जानकारी ना तो सरकार ने दी और ना ही सीए के पास है.

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जानकारी नहीं होने से कपड़ा व्यापारी हैं परेशान

कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि सरकार जीएसटी लागू करने से पहले पूरी जानकारी मुहैय्या करा देती तो किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा. कुछ व्यापारियों को लगता है कि दो लाख से नीचे वाले व्यापारियों को जीएसटी नंबर नहीं लेना होगा. सरकार ने अभी तक यह साफ नहीं किया है. इसका रिफंड व्यापारियों को मिलेगा या नहीं. ऐसी तमाम तरह की दिक्कतों से व्यापारियों को दो चार होना पड़ रहा है. व्यापारियों का मनना है कि एक सही सिस्टम और व्यापारियों को अच्छी तरह से ट्रेनिंग देने के बाद जीएसटी को लागू करना चाहिए. जीएसटी लागू होने पर ऐसे कई नियम हैं जो अबतक सीए को भी अच्छी तरह से नहीं मालूम. जब सीए को ही कुछ नहीं मालूम होगा तो आम व्यापारी इसे कैसे लागू कर पाएगा.

 

 

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