वैसे तो बीते कुछ महीनों में देश में आर्थिक सुस्ती का माहौल है लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर ऑटो इंडस्ट्री पर देखने को मिल रहा है. ऑटो इंडस्ट्री में प्रोडक्शन और सेल्स लगातार कम हो रही है. प्रोडक्शन कम होने की वजह से ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनियां-मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और अशोक लीलैंड को कुछ दिनों के लिए प्लांट बंद करने तक की नौबत आ गई. इन हालातों में इंडस्ट्री को सरकार की ओर से बड़ा झटका लगा है.
बीते शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई. इस बैठक में ऑटो इंडस्ट्री की मांग को नजरअंदाज कर दिया गया. दरअसल, ऑटो इंडस्ट्री कारों पर लगने वाले 28 फीसदी जीएसटी को घटाकर 18 फीसदी करने की मांग कर रही थी. लेकिन काउंसिल की ओर से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. इंडस्ट्री की मांग ऐसे समय में खारिज की गई, जब पिछले करीब एक साल से ऑटो कंपनियों की बिक्री और प्रोडक्शन में गिरावट देखने को मिल रही है.
सियाम ने क्या कहा?
वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम ने शनिवार को कहा कि जीएसटी काउंसिल की ओर से वाहनों पर टैक्स में कटौती से इनकार करने के बाद अब मांग को बढ़ावा देने के लिए उद्योग को " अपने स्तर पर ही प्रयास करने" होंगे. सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (सियाम) के अध्यक्ष राजन वढेरा ने बयान में कहा , " वाहन उद्योग जीएसटी में कटौती को लेकर काफी आशान्वित था. हालांकि, वाहनों पर जीएसटी को 28 से घटाकर 18 फीसदी नहीं किया गया है. " उन्होंने कहा कि उद्योग को मांग बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर विकल्प ढूंढने होंगे.
क्या है वजह
काउंसिल के इस फैसले को लेकर जीएसटी की फिटमेंट कमेटी ने पहले से ही संकेत दे दिए थे. फिटमेंट कमेटी ने बताया था कि ऑटो इंडस्ट्री के लिए टैक्स स्लैब में कटौती का अधिकतर राज्य विरोध कर रहे हैं. टैक्स स्लैब कम होने से राज्यों को राजस्व का भारी नुकसान होगा.
कमेटी के मुताबिक, स्लैब में कमी से टैक्स कलेक्शन में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमी आएगी. अगस्त, 2019 में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 98,202 करोड़ रहा, जो पिछले साल इसी महीने में 93,960 करोड़ की तुलना में 4.51 फीसदी अधिक था. यह जीएसटी कलेक्शन स्तर हालांकि साल-दर-साल आधार पर अधिक था, फिर भी सरकार की उम्मीद के मुताबिक एक लाख करोड़ रुपये से कम था.
देश की ऑटो इंडस्ट्री बदहाल
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबिल मैन्युफैक्चररर्स (SIAM) के आंकड़ों की मानें तो पिछले दो साल में यात्री कारों की मांग में करीब एक-तिहाई की गिरावट आ चुकी है. वहीं पिछले 5 साल (वित्त वर्ष 2013-14 से वित्त वर्ष 2018-19) में यात्री कारों की घरेलू बिक्री में औसतन सालाना ग्रोथ महज 7 फीसदी रही है. इस मामले में साल 2017-18 एक अपवाद रहा है, जब वाहनों की बिक्री में 14 फीसदी की बढ़त हुई थी.