माल एवं सेवा कर (GST) के तहत टैक्स स्लैब कम करने को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है. इसको लेकर देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन ने कहा कि देश में एक ही टैक्स स्लैब रखना संभव नहीं है. हालांकि स्लैब्स को कम करने की जरूरत है और इन्हें चार की बजाय 3 किया जा सकता है.
अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि जीएसटी में सुधार को लेकर लगातार काम जारी रहेगा. अभी भी जीएसटी को सरल बनाने की जरूरत है और इसकी नीतियों को भी आसान बनाना होगा.
नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, ''भारत में हम कभी एक रेट नहीं रख सकते. मैंने एक सामान्य रेट और दूसरा डीमेरिट गुड्स (ऐसे उत्पाद जिनका सेवन बेहतर नहीं माना जाता) के लिए रेट तय करने का सुझाव दिया था. मुझे लगता है कि भारत में एक रेट करने पर बहस नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह बहस इस पर होनी चाहिए कि हम क्यों नहीं तीन स्लैब रख सकते हैं.''
मौजूदा समय में जीएसटी के तहत चार टैक्स स्लैब हैं. इसमें एक 5 फीसदी, दूसरा 12%, तीसरा 18 फीसदी और चौथा 28 फीसदी है. लग्जरी और डिमेरिट गुड्स जैसे तंबाकू और गुटके पर सबसे ज्यादा टैक्स रेट लगता है. इसके अलावा इन पर सेस भी लगाया जाता है.
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीएसटी के तहत सिर्फ एक टैक्स स्लैब रखने की मांग उठाई थी. हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने इस सुझाव को सिरे से खारिज किया था. उन्होंने कहा था कि ऐसा संभव नहीं है.
सुब्रमण्यन ने भी इनकी बात को दोहराते हुए कहा कि जीएसटी एक प्रतिगामी कर नीति है. इसलिए यह न्यायसंगत नहीं होगा कि एक ही रेट रखा जाए. एक रेट तब ही संभव हो सकता है, जब गरीबों के संरक्षण के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं.