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आ रहा 'नया जीएसटी', जानें कर, कर अधिकारी और कारोबार से जुड़ी 10 खास बातें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा था कि जीएसटी लागू करने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार जीएसटी कानून में बड़े फेरबदल करने की पक्षधर है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कारोबार को राहत पहुंचाने और नई टैक्स व्यवस्था जीएसटी को जल्द से जल्द ट्रैक पर बैठाने के लिए उन सभी अड़चनों को हटाने की पहल की जाएगी जिससे कारोबारियों को परेशानी हो रही है.

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जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में इन्हीं दिक्कतों को दूर करने के लिए अहम फैसले लिए जाएंगे
जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में इन्हीं दिक्कतों को दूर करने के लिए अहम फैसले लिए जाएंगे

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एक जुलाई से पूरे देश में लागू वन नेशन वन टैक्स यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) अधर में पड़ गया है. इसकी सफलता अभी से संदेह के घेरे में आ गई है. केंद्र सरकार भी इस बात को समझ रही है संभवतः यही कारण है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों इसमें बदलाव की बात भी की. अगर सरकार बदलाव करती है तो जीएसटी का काफी स्वरूप बदल जाएगी और उसे एक 'नया जीएसटी' भी कहा जा सकता है. बता दें कि जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक दिल्ली में हो रही है, इसमें सभी राज्यों के वित्त विभागों के मंत्री, अधिकारी शामिल हैं.

जीएसटी में बदलाव को लेकर मोदी ने क्या कहा था?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा था कि जीएसटी लागू करने में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार जीएसटी कानून में बड़े फेरबदल करने की पक्षधर है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कारोबार को राहत पहुंचाने और नई टैक्स व्यवस्था जीएसटी को जल्द से जल्द ट्रैक पर बैठाने के लिए उन सभी अड़चनों को हटाने की पहल की जाएगी जिससे कारोबारियों को परेशानी हो रही है.

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क्यों बदलाव की जरूरत?

जीएसटी के जरिए वैल्यू ऐडड टैक्स (वैट) की बेकार हो चुकी कर प्रणालू को बदलने का कदम उठाया जा चुका है. लेकिन बीते तीन महीनों के दौरान देश में छोटे-बड़े कारोबारियों को इस नई कर व्यवस्था के तहत जाने में बड़ी दिकक्तों का सामना कर पड़ रहा है. जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में इन्हीं दिक्कतों को दूर करने के लिए अहम फैसले लिए जाएंगे.

जीएसटी में सुधार से जुड़ी 10 खास बातें

1. छोटे व्यापारियों को राहत: बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में छोटे व्यापारियों को राहत पुहंचाया जाय. सुशील ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था के तहत छोटे करदाताओं को कतिपय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

2. जीएसटी व्यवस्था के तहत छोटे-बड़े सभी व्यापारियों को प्रति माह विवरणी दाखिल करनी पड़ती है. अत: जिन व्यापारियों का टर्न ओवर 1.5 करोड़ रूपये तक है, उन्हें मासिक के बजाय त्रैमासिक विवरणी दाखिल करने की सुविधा दी जाये.

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3. रिवर्स चेन्ज मेकेनिज्म की व्यवस्था को फिलहाल स्थगित रखा जाये तथा कम्पाउंडिंग स्कीम के तहत 75 लाख रूपये की सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रूपये किया जाये.

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4. पहले अधिकांश राज्यों में वैट व्यवस्था के अंतर्गत त्रैमासिक विवरणी दाखिल करने का प्रावधान था, पर वर्तमान व्यवस्था में छोटे एवं बड़े सभी करदाताओं को प्रतिमाह विवरणी दाखिल करनी पड़ती है, जिससे छोटे व्यापारियों को काफी कठिनाई हो रही है.

5. 1.5 करोड़ रूपये तक टर्न ओवर वाले करदाताओं को त्रैमासिक विवरणी दाखिल करने की अनुमति प्रदान की जाये.

6. वर्तमान में रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म की व्यवस्था के तहत निबंधित करदाताओं को अनिबंधित आपूर्तिकर्ता से माल खरीदने पर कर भुगतान करना पड़ता है. जिसके कारण छोटे व्यापारियों को काफी कठिनाई होती है इसलिए फिलहाल रिवर्स चार्ज की व्यवस्था को स्थगित रखी जाए.

7. कम्पाउंडिंग स्कीम के अन्तर्गत जिन व्यापारियों का टर्न ओवर 75 लाख रूपये तक का है उन्हें कुल बिक्री पर 1 फीसदी कर देना पड़ता है. छोटे व्यापारियों के लिये यह सीमा कम है इसलिए इस सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रूपये तक की जाये ताकि उन्हें राहत मिल सके.

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8. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोटबंदी तथा वस्तु एवं सेवा कर :जीएसटी: के मुद्दे को कुरदते हुए कहा है कि नोटबंदी सबसे बड़ी आपदा रही तो नयी कर व्यवस्था एक बड़े करतब की तरह है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल में लिखा, इसने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है.

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9. इससे पहले बनर्जी ने जीएसटी लागू किये जाने को केन्द्र सरकार की नोटबंदी के बाद की एक और ऐतिहासिक भूल करार दिया था. उन्होंने जीएसटी को जल्दी में लाये जाने का दावा करते हुए मांग की कि नयी कर व्यवस्था के मामले में जांच होनी चाहिये.

10. ममता ने कहा था कि सरकार ने बगैर उपयुक्त योजना बनाये इसे जल्दबाजी में शुरु किया है. सभी आम लोग और सारे व्यापारी इसके घोर भुक्तभोगी हैं. लिहाजा सरकार को इस जल्दबाजी की गहन जांच करने की जरूरत है.तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कारोबारियों को जीएसटी की राह आसान करने के लिए तेलुगु भाषा में जीएसटी एप लांच किया है. इस एप के जरिए एंड्रायड उपभोक्ताओं के लिए विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगने वाली जीएसटी दर को तेलुगु में जाना जा सकेगा. किसी रीजनल भाषा में यह जीएसटी एप का पहला संस्करण है.

गौरतलब है कि जीएसटी को सामान्य होने में कम से कम छह महीने से एक साल का समय लगेगा. जीएसटी के सफल क्रियान्वयन के साथ ही भारत बड़ी आर्थिक शक्तियों के समूह में शामिल हो जाएगा और लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा. लिहाजा, केन्द्र सरकार जल्द से जल्द जीएसटी कानून में सुधार कर इसे वन नेशन वन टैक्स के लिए पूरी तरह से तैयार करने जा रही है.

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