जीएसटी नेटवर्क (GSTN) अब करदाताओं से जुड़ी जानकारी के विश्लेषण का काम निजी इकाइयों से करवाएगा. जीएसटीएन ने यह फैसला किसी भी तरह की धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए लिया है. इसके लिए उसने निजी क्षेत्र की कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं.
जीएसटीएन पिछले साल जुलाई में लागू हुई इस नई कर प्रणाली के लिए आईटी का बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाती है. वह इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की कर चोरी रोकने में भी मदद करना चाहती है.
प्रस्ताव के मुताबिक जो भी कंपनी यह काम करेगी, वह धोखाधड़ी से बचने के लिए करदाताओं से जुड़ी जानकारी की विश्लेषण प्रणाली बनाएगी. ताकि किसी भी तरह के फ्रॉड को पकड़ने में आसानी हो.
हितों के टकराव से बचने के लिए इन्फोसिस को इस प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई है. जीएसटीएन की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक जो कंपनी बोली लगाना चाहती है, उसका सालाना कारोबार 300 करोड़ रुपये का होना चाहिए. इसके साथ यह भी जरूरी है कि वह कंपनी बीते 3 सालों से मुनाफे में हो.