एक समय था जब लगभग पूरा देश HMT की घड़ियों से वक्त देखता था और लोग उसके दीवाने थे. शादी-ब्याह, जन्म दिन जैसे तमाम समारोहों में यह सबसे पसंदीदा उपहार होता था. इसे सम्मान के साथ टाइम कीपर्स ऑफ द नेशन भी कहा जाता था, लेकिन अब ये इतिहास बन जाएगी. यह खबर एक अंग्रेजी अखबार ने दी है.
1961 में भारत सरकार ने इस ब्रांड को लॉन्च किया था ताकि देश में घड़ियों का निर्माण हो सके. इस कंपनी ने सबसे पहले जनता घड़ियां पेश की. कम दाम की ये घड़ियां बेहद सफल रहीं. इसके बाद कंपनी ने कई और डिजाइन पेश किए. महिलाओं के लिए अलग और पुरुषों के लिए भी अलग. लेकिन 1999 के बाद जब देश में आर्थिक उदारीकण जोर पकड़ गया तो उसके बाद इस कंपनी के बुरे दिन आ गए. इसकी बिक्री कम होने लगी और घाटा बढ़ने लगा. हालत यह हो गई कि पिछले साल इसका कुल कारोबार 11 करोड़ रुपये का था और घाटा 242 करोड़ रुपये का. इस कंपनी में 1,105 कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से 181 एक्जीक्युटिव हैं.
बेंगलुरु स्थित यह कंपनी न तो प्राइवेट कंपनियों का मुकाबला कर पाई और न ही विदेशी कंपनियों का. एक जमाने में इसने नई-नई डिजाइनों की घड़ियां लॉन्च की. भारत में पहली बार क्वॉर्ट्ज की घड़ियां पेश करने का गौरव उसे ही प्राप्त है. लेकिन बाद में इस कंपनी के बढ़ते कदम ठिठकने लगे. सरकारी संस्थान होने के कारण इसमें फैसले लेने में विलंब होने लगा. इसके अलावा यह नए मॉडल लाने में असमर्थ हो गई. इस कंपनी को जिंदा रखने के कई उपाय हुए लेकिन अब रास्ता नहीं बचा है. बीजेपी सरकार इसे बंद करने जा रही है. यूपीए इस फैसले को टालती जा रही थी लेकिन अब इसका समय खत्म हो गया है.