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ICICI Bank: वीडियोकॉन लोन के खेल में ऐसे फंसती गईं चंदा कोचर

सीबीआई ने ICICI बैंक के कथ‍ित भ्रष्टाचार मामले में वेणुगोपाल धूत, चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनकी कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. कभी देश में सफल महिलाओं के आदर्श चेहरों में शुमार चंदा कोचर के करियर का इससे बुरा अंत नहीं हो सकता था. आइए जानते हैं क्या पूरा मामला...

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चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर
चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर

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चंदा कोचर ने ICICI बैंक में मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर नौकरी शुरू की थी. वह लगातार तरक्की करते हुए एमडी और फिर सीईओ के पद तक पहुंच गईं. उन्होंने अपनी बेहतरीन रणनीति से परिसंपत्ति के मामले में अपने बैंक को देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बना दिया. उन्होंने सबसे बड़ी गिरावट के दौर से बैंक को उबारा था, लेकिन विवाद में घिरने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा. आइए जानते हैं कि क्या है ICICI बैंक का मामला और कैसे चंदा कोचर इसमें फंसती चली गईं...

क्या है ICICI बैंक का मामला

आईसीआईसीआई बैंक ने साल 2012 में एसबीआई के नेतृत्व में बनाए गए एक कंसोर्टियम में शामिल होकर वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया था. इस कंसोर्टियम में 20 बैंक शामिल थे जिन्होंने कुल चालीस हज़ार करोड़ रुपये का लोन वीडियोकॉन को दिया. इसके बाद आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन के निवेशक अरविंद गुप्ता ने 15 मार्च, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अरुण जेटली समेत कई अन्य सरकारी विभागों को पत्र लिखकर दावा किया कि चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन के साथ व्यापारिक रिश्ते हैं, ऐसे में वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए 3250 करोड़ रुपये के लोन में हितों का टकराव का मामला हो सकता है. 31 मार्च को अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर छापी जिसमें ये बताया गया कि वीडियोकॉन कंपनी को मिले लोन के एनपीए होने में चंदा कोचर शामिल हैं.

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ऐसे चला पूरा घटनाक्रम

दिसंबर 2008

चंदा कोचर के पति दीपक कोचर ने वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के साथ मिलकर न्यूपावर रीन्यूएबल्स की स्थापना की. इसकी आधी हिस्सेदारी धूत और सहयोगियों की, जबकि बाकी 50 फीसदी हिस्सेदारी दीपक और पैसिफिक कैपिटल की थी. कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पैसिफिक कैपिटल के मालिक चंदा कोचर के भाई की पत्नी और दीपक कोचर के पिता थे.

जनवरी 2009

वेणुगोपाल धूत ने न्यूपावर रीन्यूएबल्स के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया और अपने 25 हजार शेयर सिर्फ 2.5 लाख रुपये में दीपक की कंपनी में ट्रांसफर कर दिए.

मई 2009

चंदा कोचर को ICICI Bank का एमडी और सीईओ बनाया गया.

मार्च 2010

सुप्रीम एनर्जी नामक कंपनी ने न्यूपावर को 64 करोड़ रुपये का लोन दिया. सुप्रीम एनर्जी में 99.9 फीसदी हिस्सेदारी धूत की थी. धूत से लेकर दीपक और पैसिफिक कैपिटल को कई बार शेयरों के ट्रांसफर की वजह से न्यूपावर की 94.99 फीसदी सुप्रीम एनर्जी के पास आ गई थी और बाकी हिस्सा दीपक दीपक और पैसिफिक कैपिटल के पास आ गई.

नवंबर 2010

धूत ने सुप्रीम एनर्जी की अपनी पूरी हिस्सेदारी अपने सहयोगी महेश चंद्र पंगलिया को ट्रांसफर कर दिया.

2012

ICICI Bank ने वीडियोकॉन के लिए 3,250 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया.

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2012-13

लोन मंजूरी के कुछ महीनों के बाद ही पंगलिया ने अपनी 99.9 फीसदी हिस्सेदारी पिनाकल एनर्जी ट्रस्ट को सिर्फ 9 लाख रुपये में बेच दी. बताया जाता है कि दीपक पिनाकल एजर्नी के मैनेजिंग ट्रस्टी थे.

2016

एक व्हिसिल ब्लोअर अरविंद गुप्ता ने इन सौदों में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखा.

2017

वीडियोकॉन के बैंक अकाउंट को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित किया गया.

मार्च, 2018

व्हिसिल ब्लोअर अरविंद गुप्ता का लेटर सोशल मीडिया में वायरल हो गया. इसमें उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि चंदा जब दिसंबर 2008 में ICICI Bank की ज्वाइंट एमडी बनी थीं, तब भी उनकी न्यूपावर में हिस्सेदारी थी.  

28 मार्च, 2018

ICICI Bank के बोर्ड ने चंदा कोचर पर लगे आरोपों को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए कहा कि इस मामले में किसी को अनुचित लाभ पहुंचाने, परिवारवाद या हितों के टकराव का कोई मामला ही नहीं है.

29 मार्च, 2018

एक बड़े अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि ICICI Bank द्वारा लोन देने में हितों के टकराव का बड़ा मामला बनता है.

6 अप्रैल, 2018

सीबीआई ने दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया. सीबीआई ने 31 मार्च को ही इस बारे में प्रारंभिक जांच शुरू कर दी थी.

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25 मई, 2018

सेबी ने ICICI Bank और चंदा कोचर के खिलाफ नोटिस जारी किया.

30 मई, 2018

बैंक ने कहा कि वह अपने सीईओ चंदा कोचर और वीडियोकॉन के बीच रिश्तों और कथि‍त हितों के टकराव की जांच करेगा.

1 जून, 2018

चंदा पूर्व नियोजित सालाना छुट्टी पर चली गईं.

18 जून, 2018

चंदा छुट्टी से वापस नहीं आईं, संदीप बख्शी को COO बनाया गया.

4 अक्टूबर, 2018

कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही चंदा ने MD और CEO का पद छोड़ दिया.

24 जून, 2019

सीबीआई ने धूत, चंदा, दीपक कोचर और उनकी कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया. इसमें यह आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने अवैध तरीके से फायदे हासिल किए हैं और ICICI Bank को नुकसान पहुंचाया है.

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