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जॉब्स को लेकर बुरी खबर, 77% इंडियन वर्करों के पास नहीं होगी ढंग की नौकरी

देश पहले ही कम रोजगार की चुनौती से जूझ रहा है. इसी बीच मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर आई है. अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ (ILO) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि 2019 तक 77 फीसदी भारतीयों कामगारों के पास ढंग की नौकरी नहीं होगी.

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ILO ने जारी की रिपोर्ट
ILO ने जारी की रिपोर्ट

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देश पहले ही कम रोजगार की चुनौती से जूझ रहा है. इस बीच मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर आई है. अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ (ILO) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि 2019 तक 77 फीसदी भारतीयों कामगारों के पास ढंग की नौकरी नहीं होगी.

संस्था ने 'वर्ल्ड इम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक' रिपोर्ट में कहा है कि 2017 से 2019 में भारत सहित दक्ष‍िण एश‍ियाई  देशों में करीब 2.3 करोड़ नौकर‍ियां पैदा होंगी. रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान भले ही आर्थ‍िक विकास बेहतर रह सकता है, लेक‍िन ये बेहतरी नौकर‍ियों के मामले में नहीं दिखेगी.

रिपोर्ट के अनुसार आर्थ‍िक विकास बेहतर रहने के बावजूद जो नौकर‍ियां पैदा होंगी, वह खराब क्वालिटी की होंगी.  आईएलओ का कहना है कि इसकी मार एश‍िया पैसिफिक इलाके के तकरीबन आधे कामगारों पर पड़ेगा. इसका असर 90 करोड़ और महिलाओं पर ये मार पड़ेगी.

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रिपोर्ट  में कहा गया है कि 2019 में दक्ष‍िण एश‍िया के 72 फीसदी, दक्ष‍िण पूर्व एश‍िया के 46 फीसदी और पूर्वी एश‍िया के 31 फीसदी कामगारों के पास कोई अच्छी नौकरी नहीं होगी. हालां‍क‍ि अन्य सभी देशों के मुकाबले भारत की स्थ‍िति ज्यादा चिंताजनक है.

आईएलओ अपनी रिपोर्ट में कहता है कि 2019 में भारत के 53.5 करोड़ कामगारों के पास 39.86 के पास कोई बेहतर नौकरी नहीं होगी. वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 से 2019 के बीच भारत की बेरोजगारी दर 3.4 से 3.5 फीसदी रहेगी.

क्या आएगी रोजगार नीति

आईएलओ की यह रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है, जब  भारत में रोजगार की कमी को लेकर बह‍स छिड़ी हुई है. देश में हर तरफ रोजगार की कमी की बात कही जा रही है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इस साल के बजट में भी रोजगार के मोर्चे पर बड़ी  घोषणा कर सकती है.

ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इस साल के बजट में रोजगार नीति की घोषणा कर सकती है. यह नीति न सिर्फ देश में रोजगार के नये मौके पैदा करने का रोडमैप तैयार करेगी, बल्‍क‍ि यह रोजगार देने वाले को भी प्रोत्साहित कर सकती है.

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