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IMF की राजन को खरी-खरी, कोई मंदी नहीं आ रही

लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने आपने भाषण से चेताया था कि आने वाले समय में दुनिया महामंदी के दौर में जा सकती है. राजन के इस बयान ने पूरी दुनिया के अर्थशास्त्रियों की नींद उड़ा दी.

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रघुराम राजन [File Photo]
रघुराम राजन [File Photo]

लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने आपने भाषण से चेताया था कि आने वाले समय में दुनिया महामंदी के दौर में जा सकती है. राजन के इस बयान ने पूरी दुनिया के अर्थशास्त्रियों की नींद उड़ा दी. जिसको लेकर IMF ने रिसर्च पेपर जारी कर राजान की भविष्यवाणी को भ्रम बताया. IMF के इस अनुसंधान पत्र में साफ कहा कि अकेले सस्ते कर्ज वाली मौद्रिक नीति ही दुनिया के लिए नए वित्तीय संकट का कारण नहीं बन सकती.

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अर्थशास्त्री 'राजन'
रघुराम जी राजन IMF के भी चीफ इकोनॉमिस्ट रहे चुके है. वह उन कुछ चुनिदा लोगो में से भी है जिन्होंने 2008-09 की वैश्विक मंदी की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी. बीते साल 2014 में राजन को दुनिया का सबसे बेहतरीन गवर्नर का अवार्ड भी मिल चुका है. इस बार राजन ने चेताया कि मौद्रिक नीति उदार बनाने के लिए जिस तरह से केंदीय बैंकों में होड़ लगी हुई है उससे महामंदी जैसे खतरे की सम्भावना बढ़ रही है. राजन ने आने वाली मंदी को 1929-30 के ग्रेट डिप्रेशन से भी खतरनाक बताया . राजन ने पालिसी निर्माताओं से नये नियम बनाने के बारे में कहकर एक विश्वस्तर बहस छेड़ दी है.

IMF का राजन को जवाब
IMF आपने ही पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट के विचारों से असहज दिखा. IMF का यह रिसर्च पेपर बैंक आफ इंग्लैंड की अर्थशास्त्री एंब्रोगियो सेसा बियोंची और जॉन हापकिन्स यूनिवर्सिटी के ऐलेसांद्रो रेबुकी ने तैयर किया है जिसमे कहा गया है कि अकेले सस्ते कर्ज वाली मौद्रिक नीति ही दुनिया को महामंदी के गर्त में नहीं धकेल सकती. और फिलहाल अभी भविष्य में कोई मंदी नहीं आने वाली.
रिपोर्ट मंदी का मुख्य कारण वित्तीय प्रणाली की स्थिरता ना होना बताया गया है. 2008-09 का वैश्विक संकट के पीछे भी इसी कारण को मुख्य कारण के रूप में दोहराया गया है.

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राजन से नाराजगी तो सहमती भी
IMF की रिपोर्ट राजन की इस बात पर सहमत हैं कि मौद्रिक नीति वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती है. जिसके लिए उन्होंने 2005 में राजन द्वारा तैयार रिपोर्ट का हवाला भी दिया है कि प्रभावी नियामकीय प्रणाली से संतुलन बनाया जा सकता है. अमेरिका में डाटकाम का गुब्बारा फूटने के बाद फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को तेजी से घटा दिया था.

राजन ने भी मंदी के पूर्व कहा था एक कारक भी बाजार को अस्थिर बना सकता है. राजन ने उच्च ब्याज दर के बाद कम ब्याज दर के दौर के साथ अनवरत हो रहे वित्तीय उदारीकरण को लेकर पालिसी मेकर्स को चेताया था. लेकिन ज्यादातर लोगों ने उनकी चेतावनी खारिज कर दी थी और कुछ ने तो उनके विचार को पुरातन श्रेणी का बताते हुए मजाक भी उड़ाया था.
IMF की रिपोर्ट के दोनों लेखकों ने निर्विरोध तौर पर 2008-09 के वैश्विक संकट में मुख्य भूमिका मौद्रिक नीति को मानकर राजन से थोड़ी सहमती जरूर जताई.

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