चाहे सरकारी खजाना भरने की बात हो या फिर आर्थिक वृद्धि को गति देने की, 2012 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर सरकार की निर्भरता बढ़ी है.
आर्थिक नरमी के चलते कर राजस्व में गिरावट का सामना कर रहे वित्त मंत्रालय ने अपना राजकोषीय लक्ष्य पूरा करने के लिए बेहतर निष्पादन कर रही सार्वजनिक कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने का रास्ता अपनाया.
इसके अलावा, ऐसे समय में जब दुनियाभर में निवेश का माहौल नरम था, प्रधान शेयरधारक यानी सरकार ने अपनी कंपनियों को नकदी खर्च कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद करने को कहा.
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को दिए कड़े संदेश में कहा, ‘इसका इस्तेमाल करें या सरकार को सौंप दें.’ये कंपनियां 2.50 लाख करोड़ रुपये की नकदी पर बैठी थीं.
सरकार ने विनिवेश कार्यक्रम के जरिये 30,000 करोड़ रुपये राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है और साल के अंत तक उसे इस दिशा में कुछ सफलता भी हासिल हुई.
कई विफल प्रयास के बाद सरकार नवंबर में हिंदुस्तान कॉपर में हिस्सेदारी बेचने में सफल रही जो 2012-13 का पहला विनिवेश रहा. इससे सरकार को 808 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई. हालांकि इस विनिवेश में व्यापक भागीदारी सरकारी बैंकों और एलआईसी ने की.
दिसंबर में सरकार एनएमडीसी में विनिवेश के जरिये 6,000 करोड़ रुपये जुटाने में सफल रही. साल 2012 की शुरुआत में सरकार ने ओएनजीसी में हिस्सेदारी बेची. वहीं अप्रैल में सरकार एनबीसीसी का आईपीओ लेकर आई.
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां मंदी का झटका बेहतर ढंग से झेलने में सफल रहीं. हालांकि तेल क्षेत्र की कंपनियां अधिक सब्सिडी का बोझ उठाने जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों से जूझती रहीं. तेल सब्सिडी बिल घटाने के लिए सरकार ने डीजल के दाम बढ़ा दिए और सब्सिडी पर घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति सीमित कर दी.
वैश्विक मुद्दों के बावजूद भारत में सार्वजनिक कंपनियां इस कैलेंडर वर्ष में बेहतर निष्पादन करने में सफल रहीं. बेहतर निष्पादन के बल पर, सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों को अपना अधिशेष कोष बिजली और कोयला सहित नयी परियोजनाओं में लगाने को कहा.
वर्ष 2012 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 13.2 प्रतिशत बढ़ा. बीएसई पीएसयू सूचकांक के मुताबिक, 26 दिसंबर, 2012 तक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 16.02 लाख करोड़ रुपये रहा जो इस साल 2 जनवरी को 14.14 लाख करोड़ रुपये था.