रिजाइन करने के बाद विशाल सिक्का का सबसे बड़ा सवाल, है कि क्या अब उन्हें 60 करोड़ रुपये इंफोसिस से मिलेंगे. सिक्का ने सीईओ और एमडी पद से अपने रेजिग्नेशन में कहा है कि वह महज 1 डॉलर प्रति वर्ष पर कंपनी के एक्जिक्यूटिव वाइस चेयरमैन की जिम्मेदारी निभाएंगे.
विशाल सिक्का को 2016 में इंफोसिस ने 5 साल के लिए मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया था. इस नियुक्ति में उन्हें सैलरी के अलावा प्रति वर्ष 2 मिलियन डॉलर (30 करोड़ रुपये) का बोनस विशेष शेयर के रूप में मिलना था. लिहाजा, रिजाइन करने के बाद इंफोसिस से उन्हें 60 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है.
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आमतौर पर किसी सीईओ को पद से हटाने पर कंपनी को उसे सेवेरेंस पैकेज के तौर पर एक निश्चित समय की सैलरी देनी होती है. लेकिन विशाल सिक्का इस पैकेज के लिए योग्य नहीं हैं क्योंकि उन्होंने स्वत: कंपनी से रिजाइन करने का फैसला लिया. न कि कंपनी की तरफ से उन्हें रिजाइन करने के लिए कहा गया.
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खास बात यह है कि यह वही रकम है जिसका विरोध को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने किया था. बोर्ड में नारायण मूर्ति और उनके समर्थन वाले लोगों ने सिक्का को इतना बड़ा परफॉर्मेंस बोनस दिए जाने पर सवाल खड़ा किया था.
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अब देखना यह है कि क्या इंफोसिस बोर्ड विशाल सिक्का के इस पैसे पर क्या फैसला लेती है? शनिवार को इंफोसिस बोर्ड की अहम बैठक है जिसमें कंपनी को हजारों करोड़ रुपये के शेयरों को खरीदने पर फैसला लेना है. यदि कंपनी बायबैक के पक्ष में फैसला लेती है तो और वह विशाल सिक्का को अपने एकत्रित शेयर बेचने की इजाजत देती है तो कंपनी को एक मजबूत स्थिति में पहुंचाने का पारिश्रमिक उन्हें मिल जाएगा.