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Budget 2020: नई टैक्स छूट का लाभ उठाने के लिए आपको छोड़नी होंगी 70 रियायतें!

Income Tax New Slabs Bugdet 2020 मोदी सरकार के नए बजट में टैक्स दरों में बदलाव कर राहत तो दे दी गई है लेकिन इसके साथ एक पेच भी जुड़ा हुआ है. बजट में लोगों को पुरानी टैक्स दरों से भी आयकर अदायगी का विकल्प भी दिया गया है.

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Income Tax New Slabs Bugdet 2020
Income Tax New Slabs Bugdet 2020

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Bugdet 2020- केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट में आयकर की दरों (Income Tax New Slabs) में बड़े बदलाव का ऐलान किया. इस बार के बजट में मिडिल क्लास समेत लगभग हर वर्ग को राहत दी गई है. हालांकि, नए टैक्स स्लैब के साथ एक पेच भी जुड़ा हुआ है.

नए टैक्स स्लैब के मुताबिक, 5 लाख से 7.5 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों को अब 20 फीसदी के मुकाबले सिर्फ 10 फीसदी की दर से ही टैक्स चुकाना होगा. वहीं, जिनकी सालाना आय 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपए तक है, उन्हें सिर्फ 15 फीसदी की दर से ही टैक्स भरना होगा. हालांकि, अगर आप नई दरों से कर अदायगी करते हैं तो आपको टैक्स में मिलने वाली करीब 70 रियायतों को छोड़ना पड़ेगा. पहले बीमा, निवेश, घर का रेंट, मेडिकल, बच्चों की स्कूल फीस जैसी कुल 100 रियायतें दी गई थीं जबकि अब नए टैक्स स्लैब में 70 रियायतों को खत्म कर दिया गया है.

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नई टैक्स दरें-

0-5 लाख तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं

2.5 – 5 लाख सालाना कमाई पर- 5% 

5-7.5 लाख सालाना आय पर- 10%

7.5 – 10 लाख तक की सालाना आय पर- 15%

10 – 12.5 लाख की सालाना आय पर - 20% 

12.5 – 15 लाख की सालाना आय पर- 25%

15 लाख और अधिक से ऊपर सालाना आय पर- 30%

पुरानी दरों से भी टैक्स देने का विकल्प

नए बजट में करदाताओं को मौजूदा आयकर दर या नए आयकर दरों में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया गया है. अगर आप पुरानी दरों से आयकर भरते हैं तो आप टैक्सेबल इनकम में मिलने वाली तमाम रियायतों का फायदा उठा सकते हैं लेकिन अगर आप निर्मला सीतारमण के ऐलान के मुताबिक नई दरों के हिसाब से टैक्स भरेंगे तो फिर आपको इन रियायतों को छोड़ना होगा.

अब किसी करदाता के लिए नई कर व्यवस्था या पुरानी कर व्यवस्था में से ज्यादा फायदेमंद क्या होगी, ये उसकी आय और निवेश पर निर्भर करता है. यानी हर व्यक्ति को अपना गणित लगाकर चुनाव करना होगा.

क्या कहते हैं विश्लेषक?

आर्थिक मामलों के जानकार अंशुमान तिवारी कहते हैं, इनकम टैक्स में बड़े बदलाव के बाद टैक्स रियायतों के जरिए बचत प्रोत्साहित करने की नीति खत्म हो जाएगी. इससे बचत में गिरावट बढ़ेगी और बीमा, मेडिक्लेम, छोटी बचत स्कीमों पर भी इसका असर होगा. अगर होम लोन पर टैक्स छूट भी नई स्कीम का हिस्सा होती है तो हाउसिंग भी प्रभावित होगी. छूट रियायत की वापसी के बदले कर रियायत के बाद बीमा, यूलिप, रियल एस्टेट कारोबारों का बुरा हाल होगा.

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बता दें कि संसद से पास होने पर बजट के नए प्रावधान नए वित्तीय वर्ष 2020-21 से प्रभावी हो जाएंगे.

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