इनकम टैक्स सेटेलमेंट कमीशन (ITSC) ने कहा कि बीते 5 साल के दौरान जिस तेजी के साथ उसने सहारा के खिलाफ सुनवाई की है वैसी तत्परता किसी अन्य केस में देखने को नहीं मिली है. इसके साथ ही कमीशन ने आयकर विभाग पर टिपप्णी करते हुए कहा कि विभाग ने सहारा इंडिया के केस में जरूरी छानबीन नहीं की है जबकि विभाग को इस छानबीन के लिए 90 दिन के समय का प्रावधान है.
इनकम टैक्स सेटेलमेंट कमीशन की यह टिप्पणी नई दिल्ली के एक अखबार दि इंडियन एक्सप्रेस द्वारा दाखिल आरटीआई के जरिए पूछे गए सवाल पर की गई है. अखबार ने 5 जनवरी को प्रकाशित अपनी एक खबर में दावा किया था कि कमीशन ने महज तीन सुनवाई करते हुए सहारा डायरी केस में फैसला सुना दिया था.
इस आरटीआई के जवाब में कमीशन ने माना कि सहारा मामले को उसने अपने इतिहास में सबसे कम समय में निपटाया है. इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सहारा डायरी को साक्ष्य मानने से इंकार करते हुए जांच कराने के लिए आए पीआईएल को नकार दिया था.
गौरतलब है कि 2014 में सहारा इंडिया के कई ठिकानों पर छापेमारी के दौरान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को एक डायरी बरामद हुई थी जिसमें कई नेताओं से पैसे के लेन-देन का ब्यौरा दिया था. कमीशन ने इस डायरी को साक्ष्य मानने से इंकार कर दिया था.
आयोग के फैसले के मुताबिक पहले सहारा इंडिया द्वारा दाखिल याचिका को ठुकरा दिया गया था लेकिन 5 सितंबर,2016 को उसने याचिका को सुनवाई के स्वीकार कर लिया था. इसके बाद तेज गति से सुनवाई करते हुए आयोग ने महज तीन सुनवाई करते हुए 10 नवंबर,2016 को सहारा इंडिया के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया था. गौरतलब है कि सामान्य तौर पर इनकम टैक्स सेटेलमेंट आयोग 18 महीनों में किसी मामले में अंतिम फैसला देता है. हालांकि कुछ मामलों में जल्दबाजी दिखाते हुए आयोग में 10-12 महीनों में भी अंतिम फैसला सुनाया है.