दुनिया की दो दिग्गज अर्थव्यवस्थाओं के बीच अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वार को दूर करने के लिए वार्ता होने वाली है. लेकिन इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की बयानबाजी से माहौल गरमा गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के 200 अरब डॉलर मूल्य के आयात पर टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दी है. इस पर पलटवार करते हुए चीन ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है. चीन ने कहा कि यदि अमेरिकी राष्ट्रपति टैरिफ बढ़ाते हैं तो चीन इसका प्रतिकार करेगा.
गौरतलब है कि चीन-अमेरिका के बीच व्यापारिक गतिरोध दूर करने के लिए 9-10 मई को वाशिंगटन में वार्ता होनी है. इसके लिए अमेरिका पहुंचे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीन के उप प्रधानमंत्री लिउ कर रहे हैं और अमेरिका की तरफ से इसमें यूएस ट्रेड रीप्रजेंटेटिव रॉबर्ट लाइटीजर और ट्रेजरी सेक्रेटरी यानी वित्त मंत्री स्टीवन म्नुछिन शामिल होंगे. वार्ता से पहले ही अमेरिका ने आरोप लगाया है कि पिछले दौर में जिन मसलों पर सहमति बनी थी, उसको लेकर चीन पीछे हट रहा है.
न्यूज एजेंसी रायटर्स के मुताबिक वार्ता से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी थी कि वह चीनी वस्तुओं पर टैरिफ यानी आयात शुल्क बढ़ा देंगे. उनकी इस घोषणा से ही वैश्विक बाजारों में गिरावट आनी शुरू हो गई और इसके बाद भारी उतार-चढ़ाव देखा गया.
ट्रंप ने इस ट्वीट कर कहा था- पिछले 10 महीने से चीन 50 अरब डॉलर के हाईटेक वस्तुओं पर 25 फीसदी और 200 अरब डॉलर मूल्य की अन्य वस्तुओं पर 10 फीसदी टैरिफ अमेरिका को दे रहा है. यह भुगतान कुछ हद तक हमारे जबरदस्त आर्थिक नतीजों के लिए जिम्मेदार है. शुक्रवार से यह 10 फीसदी बढ़कर 25 फीसदी हो जाएगा. चीन को भेजे जाने वाले 325 अरब डॉलर की अतिरिक्त वस्तुओं पर कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन अब इन पर 25 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा. चीन के साथ व्यापार वार्ता जारी है, लेकिन यह बहुत धीमी गति से चल रही है.
इसके जवाब में चीन के वाणिज्य मंत्री ने कहा कि चीनी उत्पादों पर यदि अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाया तो उसके लिए जवाबी कार्रवाई की जाएगी. यह बताते हुए कि व्यापारिक तनाव का बढ़ना दोनों देशों और पूरी दुनिया के लिए ठीक नहीं है. वाणिज्य मंत्री ने ट्रंप के बयान पर कहा, 'चीन इस पर गहरा दुख व्यक्त करता है और यदि अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाने के निर्णय को लागू किया तो चीन इसकी जवाबी कार्रवाई को मजबूर हो जाएगा.'
हालांकि, ट्रंप की कठोर बयानबाजी के बावजूद चीन ने व्यापारिक वार्ता में शामिल होने के अपने निर्णय में कोई बदलाव नहीं किया है.
चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार पिछले साल मार्च से चल रहा है, जब ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयात होने वाले स्टील और अल्युमिनियम पर भारी टैरिफ लगा दिया था. इसके जवाब में तब चीन ने भी अरबों डॉलर के अमेरिकी आयात पर टैरिफ बढ़ा दिया था.
चीन असल में थोड़ा दबाव में इसलिए रहा क्योंकि यूरोपीय यूनियन के बाद अमेरिका ही चीन का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. इस साल के पहले चार महीनों में ही अमेरिका से चीन के व्यापार में 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. जनवरी से अप्रैल महीने के दौरान दोनों देशों के बीच 1.1 ट्रिलियन युआन का व्यापार हुआ.