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चीन से व्यापार के ये 3 गेटवे, आयात-निर्यात में असंतुलन भारत की बड़ी चिंता

भारत और चीन के बीच 1962 युद्ध के बाद रुके द्वपक्षीय कारोबार को 1978 में शुरू किया गया. इस शुरुआत के बाद 1984 में तत्तकालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पहल पर दोनों देशों ने मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) एग्रीमेंट पर समझौता किया.

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भारत-चीन सीमा
भारत-चीन सीमा

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भारत और चीन के बीच 1962 युद्ध के बाद रुके द्वपक्षीय कारोबार को 1978 में शुरू किया गया. इस शुरुआत के बाद 1984 में तत्तकालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पहल पर दोनों देशों ने मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) एग्रीमेंट पर समझौता किया. इस समझौते के बाद 2000 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार बढ़कर 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. इसके बाद अगले 8 साल के दौरान दोनों देशों के बीच कारोबार लगभग 52 बिलियन डॉलर की नई ऊंचाई पर पहुंच गया और इस साल चीन ने अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर पार्टनर बन गया.

भारत और चीन के आपसी कारोबार को उस ऊंचाई पर ले जाने के लिए दोनों देशों के बीच तीन बॉर्डर ट्रेडिंग प्वाइंट बेहद अहम भूमिका में रहे. इनमें नाथू ला पास (सिक्किम), शिप्की ला पास (हिमाचल प्रदेश) और लिपुलेख पास (उत्तराखंड) शामिल हैं.

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लिपुलेख पास (उत्तराखंड)

भारत और चीन के बीच लिपुलेख पास से आपसी ट्रेड दोनों देशों के बीच 1 जुलाई 1992 को हुए समझौते के बाद शुरू हुआ. यह समझौता पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहा राव के कार्यकाल में किया गया. इस रास्ते दोनों देशों के बीच कारोबार 1 जून से 30 सितंबर तक होता है. इस रास्ते कारोबार के लिए दोनों देशों ने भारत में गुंजी बाजार और तिब्बत में पूलान मार्केट को चुना है. गौरतलब है कि इस ट्रेडिंग प्वाइंट से भारत से 39 उत्पादों के निर्यात और चीन से 18 उत्पादों के आयात को मंजूरी दी गई है.

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शिप्की ला पास (हिमाचल प्रदेश)

शिप्की ला पास के जरिए कारोबार दोनों देशों के बीच 7 सितंबर 1993 को हुए समझौते के तहत किया जाता है. यह समझौता पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहा राव के कार्यकाल में किया गया. इस रास्ते कारोबार करने के लिए दोनों देशों ने भारत के हिमाचल प्रदेश में नाम्ग्या मार्केट और तिब्बत के जादा काउंटी के जियुबा मार्केट को चुना है.

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नाथू ला पास (सिक्किम)

नाथू ला पास के जरिए द्वपक्षीय कारोबार दोनों देशों के बीचे 23 जून 2003 को हुए समझौते के तहत किया जाता है. यह समझौता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल में किया गया. हालांकि इस समझौते के तीन साल बाद 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान दोनों देशों ने कारोबार की शुरुआत की.

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समझौते के तहत इस कारोबार के लिए भारत के सिक्किम में छान्गू मार्केट और तिब्बत के रेन्किनगांग मार्केट को चुना गया. इस रास्ते दोनों देश 1 मई से 30 नवंबर तक कारोबार करता है. वहीं इस रास्ते कारोबार के लिए भारत से निर्यात होने वाले 29 उत्पादों को मंजूरी दी गई तो 15 उत्पादों को चीन से आयात करने की मंजूरी दी गई.

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