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RCEP में शामिल नहीं होगा भारत, घरेलू उद्योगों के हित में लिया फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की चिंताओं को लेकर दृढ़ हैं और घरेलू उद्योगों के हित को लेकर कोई भी समझौता नहीं करने का फैसला लिया है.

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देशहित में मोदी सरकार ने आरसीईपी ने किया किनारा (Photo: AP)
देशहित में मोदी सरकार ने आरसीईपी ने किया किनारा (Photo: AP)

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  • देशभर में RCEP में शामिल होने का हो रहा था विरोध
  • सरकार ने घरेलू हितों को देखते हुए RCEP से किया किनारा
  • किसानों को डेयरी उद्योग बर्बाद होने का था डर

रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) में भारत ने शामिल होने से इनकार कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की चिंताओं को लेकर दृढ़ हैं और घरेलू उद्योगों के हित को लेकर कोई भी समझौता नहीं करने का फैसला लिया है.

बैंकॉक में आरसीईपी समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आरसीईपी की कल्पना करने से हजारों साल पहले भारतीय व्यापारियों, उद्यमियों और आम लोगों ने इस क्षेत्र के साथ संपर्क स्थापित किया था. सदियों से इन संपर्कों और संबंधों ने हमारी साझा समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

उन्होंने कहा कि हमारे किसानों, व्यापारियों और उद्योगों का काफी कुछ दांव पर है. कर्मचारी और उपभोक्ता हमारे लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं. पीएम ने कहा कि आज जब हम आरसीईपी के 7 वर्षों के वार्ता को देखते हैं तो वैश्विक आर्थिक और व्यापार परिदृश्य सहित कई चीजें बदल गई हैं. हम इन परिवर्तन को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. मौजूदा आरसीईपी समझौता आरसीईपी की मूल भावना को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता है.

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दरअसल आरसीईपी एक ट्रेड अग्रीमेंट है जो कि सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में कई सहूलियत देगा. इसके तहत निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं देना पड़ेगा या तो बहुत कम देना होगा. इसमें आसियान के 10 देशों के साथ अन्य 6 देश हैं.

किसान कर रहे थे समझौते के विरोध

RCEP में भारत के शामिल होने के खिलाफ किसान देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. खासकर किसान संगठनों कड़ी आपत्ति जता रहे थे. किसानों का कहना है कि ये संधि होती है तो देश के एक तिहाई बाजार पर न्यूजीलैंड, अमेरिका और यूरोपीय देशों का कब्जा हो जाएगा और भारत के किसानों को इनके उत्पाद का जो मूल्य मिल रहा है, उसमें गिरावट आ जाएगी.

डेयरी उद्योग प्रभावित होने का डर

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर भारत आरसीईपी की संधि में शामिल होता है तो देश के कृषि क्षेत्र पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. इतना ही नहीं भारत का डेयरी उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा.

समिति के संजोयक वीएम सिंह का कहना है कि मौजूदा समय छोटे किसानों की आय का एकमात्र साधन दूध उत्पादन ही बचा हुआ है, ऐसे में अगर सरकार ने आरसीईपी समझौता किया तो डेयरी उद्योग पूरी तरह से तबाह हो जायेगा और 80 फीसदी किसान बेरोजगार हो जाएंगे.

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भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी करार में ही शामिल होगा. बैंकॉक में चल आसियान शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ओपनिंग स्पीच में भी आरसीईपी का जिक्र नहीं किया था. उन्होंने केवल वर्तमान व्यापार समझौतों में सुधार की बात ही की थी.

चीनी सामान से पट जाता भारतीय बाजार

जानकार कहते हैं कि आरसीईपी समझौता होने से भारतीय बाजार में चीनी सामान की बाढ़ आ जाती. चीन का अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर चल रहा है जिससे उसे नुकसान उठाना पड़ रहा है. चीन अमेरिका से ट्रेड वॉर से हो रहे नुकसान की भरपाई भारत व अन्य देशों के बाजार में अपना सामान बेचकर करना चाहता है. ऐसे में आरसीईपी समझौते को लेकर चीन सबसे ज्यादा उतावला है.

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