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GDP ग्रोथ में चीन से आगे बने रहना है, तो भारत को इन 3 चुनौतियों से पाना होगा पार

केंद्र सरकार ने गुरुवार को जनवरी-मार्च तिमाही के जीडीपी आंकड़े पेश किए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चौथी तिमाही में जीडीपी 7.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है. इस रफ्तार के साथ ही भारत ने चीन को पछाड़ दिया है.

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पीएम मोदी और शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
पीएम मोदी और शी जिनपिंग (फाइल फोटो)

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केंद्र सरकार ने गुरुवार को जनवरी-मार्च तिमाही के जीडीपी आंकड़े पेश किए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चौथी तिमाही में जीडीपी 7.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है. इस रफ्तार के साथ ही भारत ने चीन को पछाड़ दिया है. इसी तिमाही में चीन की वृद्ध‍ि दर 6.8 फीसदी रही है.

भले ही नोटबंदी के बाद विकास दर काफी तेजी से बढ़ी है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बरकरार हैं. अगर भारत को अपनी ये रफ्तार बनाए रखनी है और वह आने वाले दिनों में भी चीन से आगे बने रहना चाहता है, तो उसे कुछ चुनौतियों से निपटना होगा.

कच्चा तेल:

कच्चे तेल की कीमतों में भले ही नरमी आना शुरू हो गई है, लेक‍िन अभी भी ये 70 डॉलर के पार बना हुआ है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार बदल रहे हालातों का असर कच्चे तेल की कीमतों पर होता रहता है. ऐसे में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से पार पाने की सबसे बड़ी चुनौती सरकार के सामने है.

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दरअसल भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में बदलाव का असर जीडीपी पर भी पड़ता है. एक अनुमान के मुताबिक जब भी कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा होता है, तो इसका असर जीडीपी पर 40 बेसिस प्वाइंट के हिसाब से पड़ता है. यही नहीं, इसका असर देश में महंगाई बढ़ने और चालू खाता घाटा बढ़ने के तौर पर भी सामने आ सकता है.

गिरता रुपया:

पिछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है. फिलहाल रुपया 67 के पार पहुंच गया है. कुछ समय पहले यह 68 का आंकड़ा भी पार कर चुका है. डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया इकोनॉमी के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है. जानकार मानते हैं कि रुपये में अगर अगले 2 से 3 महीने तक यह गिरावट जारी रही, तो जीडीपी पर इसका असर पड़ना तय है.

कृष‍ि:

जनवरी से मार्च तिमाही के बीच भले ही कृष‍ि की ग्रोथ 4.5 फीसदी बेहतर रही है, लेकिन सालाना आधार पर कृष‍ि की विकास दर 6.3 फीसदी से घटकर 3.4 फीसदी पर आ गई है. सरकार ने कहा है कि वह यह सुन‍िश्च‍ित करेगी कि उसकी तरफ से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा हर किसान को मिले. इसका असर भी सरकारी खजाने पर दिखना तय है. इसके अलावा कृष‍ि और किसानों के हालात सुधारने पर भी सरकार को फोकस करना होगा और कृष‍ि विकास में बढ़ोतरी की चुनौती से निपटना होगा.

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इन चुनौतियों को देखते हुए सरकार को अपनी वित्तीय स्थ‍ित‍ि को सुधारने पर फोकस करना होगा. अच्छी बात यह है कि कच्चे तेल की कीमतें नीचे आना शुरू हो गई हैं. अब देखन यह होगा कि आने वाले दिनों में रुपये का डॉलर के मुकाबले क्या रुख होता है.

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