scorecardresearch
 

ब्याज दरें नहीं घटने से उद्योग जगत निराश

रिजर्व बैंक की मंगलवार को जारी मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में बदलाव लाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाये जाने पर उद्योग जगत ने निराशा जताई है.

Advertisement
X

रिजर्व बैंक की मंगलवार को जारी मध्य तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में बदलाव लाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाये जाने पर उद्योग जगत ने निराशा जताई है. हालांकि, उद्योग जगत को उम्मीद है कि आरबीआई अगली समीक्षा से पहले ही इस दिशा में कदम उठायेगा.

Advertisement

एसोचैम अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा, ‘हमारी उम्मीदों को झटका लगा है, केन्द्रीय बैंक ने व्यावसायिक धारणा में बदलाव और निवेश बढ़ाने में मदद का एक और मौका जाने दिया.’ इससे औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि धीमी पड़ेगी.

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा, ‘जैसा कि माना जा रहा था रिजर्व बैंक ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन हाल में मुद्रास्फीति में आई नरमी, खासकर गैर-खाद्य विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 4.5 प्रतिशत रह जाने के बाद रिजर्व बैंक के लिये 2013 की शुरुआत में ही दरों में कटौती करने की सहूलियत होगी.’

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने नीतिगत दरों को यथावत रखने के रिजर्व बैंक के फैसले को निराशाजनक बताया. सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में जब सरकार ने राजकोषीय मजबूती के लिये स्पष्ट कार्ययोजना की घोषणा कर दी और गैर-खाद्य मुद्रास्फीति में काफी गिरावट आई है.

Advertisement

रिजर्व बैंक के लिये रेपो और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती के लिये अनुकूल परिस्थितियां थीं.’ भारतीय निर्यातक संघों के परिसंघ (फियो) ने ब्याज दर कम करने के मामले में रिजर्व बैंक की देखो और प्रतीक्षा करो की नीति पर कहा कि इससे सूक्ष्म, मझोले और मध्यम श्रेणी के उद्यमों का निर्यात कारोबार प्रभावित होगा.

फियो अध्यक्ष रफीक अहमद ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र का बैंकों से कर्ज उठाव काफी कुछ थम गया है. मार्च 2012 में यह जहां 40.11 लाख करोड़ था वहीं मार्च 2011 में यह 39.42 लाख करोड़ रुपये पर था. इससे क्षेत्र में गतिविधियां धीमी पड़ने का संकेत मिलता है.

सीआईआई महानिदेशक ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के तिमाही आंकड़े अर्थव्यवस्था में गहराती सुस्ती की तरफ साफ संकेत करते हैं. अर्थव्यवसथा का हर वर्ग ब्याज दरों में राहत के लिये रिजर्व बैंक की तरफ देख रहा है. ऐसे में उम्मीद है कि रिजर्व बैंक इस दिशा में कदम उठाने के लिये अगली मौद्रिक तिमाही समीक्षा तक प्रतीक्षा नहीं करेगा और उससे पहले ही कदम उठायेगा.

परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा, ‘पूरा कपड़ा उद्योग निराश है. ब्याज दर अपरिवर्तित रखने से कर्ज की लागत बढ़ रही है. मुद्रास्फीति ने और संसाधनों को महंगा कर रखा है. रोजगार देने वाले कपड़ा उद्योग को कारोबार बचाए रखने के लिए सस्ते कर्ज की जरूरत है.'

Advertisement
Advertisement