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खुशखबरी! टैक्स में मिलेगी कई तरह की छूट

यूपीए सरकार जनता को खुश करने के लिए कई कदम उठा रही है. गैस सिलेंडरों की संख्या में बढ़ोतरी उसी दिशा में एक बड़ा कदम है. लेकिन दिल थाम कर बैठिए! अभी और भी कई बड़ी घोषणाएं होने वाली हैं.

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टैक्स में मिलेगी कई तरह की छूट
टैक्स में मिलेगी कई तरह की छूट

यूपीए सरकार जनता को खुश करने के लिए कई कदम उठा रही है. गैस सिलेंडरों की संख्या में बढ़ोतरी उसी दिशा में एक बड़ा कदम है. लेकिन दिल थाम कर बैठिए! अभी और भी कई बड़ी घोषणाएं होने वाली हैं.

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फरवरी में संसद का बजट सत्र होता है लेकिन चुनावी वर्ष होने के कारण बजट पेश नहीं हो सकेगा और ऐसे में सरकार बजट में छूट या राहत नहीं दे पाएगी. लेकिन कांग्रेस आलाकमान इस दिशा में काम कर रही है और समझा जाता है कि इस बार वोट ऑन अकाउंट के दौरान ही सरकार टैक्स में कई तरह की छूट की घोषणा कर सकती है. यूपीए सरकार का इरादा है कि टैक्स में राहत देकर जनता को खुश किया जाए.

वित्त मंत्री का पिछला बजट जनता को पसंद नहीं आया था, खासकर मिडिल क्लास उससे नाखुश था. उसके लिए उसमें कुछ भी नहीं था बल्कि उस पर टैक्स का बोझ भी बढ़ा दिया गया था.

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक वित्त मंत्री पी चिदंबरम इस समय जनता को बहलाने वाले कई टैक्स इंसेंटिव तैयार करने में जुटे हुए हैं. वे कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. कांग्रेस जानती है कि देश का मिडिल क्लास उससे बेहद खफा है और उसे खुश करना जरूरी है. पिछले विधानसभा चुनावों में उसने मिडिल क्लास का गुस्सा देख लिया. अब वह उसे मनाना चाहती है. इसके लिए वह एक कदम आगे जाना चाहती है.

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ज़ाहिर है कि पार्टी कई तरह की छूट देना चाहती है. उसका कहना है कि वोट ऑन अकाउंट के दौरान किसी भी तरह की छूट या राहत न देने का कोई प्रावधान तो नहीं है. यह तो एक परंपरा जैसी बना दी गई है लेकिन इसे तोड़ा जा सकता है और पहले भी ऐसा किया गया है. पार्टी के सूत्र इसके लिए 2004 का हवाला देते हैं जब जसवंत सिंह वित्त मंत्री थे और उन्होंने ठीक चुनाव के पहले वोट ऑन अकाउंट के दौरान कई तरह की छूट की घोषणा की थी. उन्होंने इनकम टैक्स में भी छूट दी थी. 1991 में यशवंत सिन्हा ने भी कई तरह की घोषणाएं की थीं.

कांग्रेस के पास जनता को खुश करने वाले विकल्प कम हैं और उससे भी बड़ी बात है कि समय कम है. ऐसे में उसे इस तरह के कदम उठाने के लिए सोचना पड़ रहा है.

यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है कि राजस्व घाटा कम हो रहा है और बजट का चालू घाटा (CAD) भी कम हो गया है. दोनों ही नियंत्रण में दिखाई दे रहे हैं और ऐसे में वित्त मंत्री जोखिम उठा सकते हैं.

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