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इंडिया रेटिंग्स का अनुमान- FY21 में सुस्त रहेगी इकोनॉमी, राहत पैकेज पर कही ये बात

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था 5.3 प्रतिशत पर सिमट जाएगी.

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भारतीय अर्थव्यवस्था 5.3 प्रतिशत पर सिमट जाएगी
भारतीय अर्थव्यवस्था 5.3 प्रतिशत पर सिमट जाएगी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना का असर इकोनॉमी पर पड़ने की आशंका
  • इंडिया रेटिंग्स ने इकोनॉमी पर दिया है झटका

कोरोना संकट काल के बीच भारत की इकोनॉमी को लेकर दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां अलग-अलग तरह के अनुमान लगा रही हैं. इस बीच, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था 5.3 प्रतिशत पर सिमट जाएगी.

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कोरोना का असर

रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से उत्पादन की रफ्तार और स्तर पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है. सप्लाई चेन और ट्रेड चेन टूट गई है. एयरलाइन, होटल और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में गतिविधियां पूरी तरह ठप होने से असर पड़ा है. इस माहौल में पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने की उम्मीद नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक पूरे वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी ही, प्रत्येक तिमाही के दौरान भी अर्थव्यवस्था नीचे आएगी.

अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी

हालांकि, एजेंसी का मानना है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी और पांच से छह प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी. रिपोर्ट कहती है कि आधार प्रभाव और घरेलू के अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति सामान्य होने की वजह से अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था वृद्धि दर्ज करेगी.

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इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.3 प्रतिशत की गिरावट आएगी. इसके अलावा यह छठा अवसर होगा जब अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी. इससे पहले वित्त वर्ष 1957-58, 1965-66, 1966-67, 1972-73 और 1979-80 में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आई थी. बता दें कि वित्त वर्ष 1979-80 में आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर पर गयी थी. तब देश की आर्थिक वृद्धि दर शून्य से 5.2 प्रतिशत नीचे थी.
 

करीब 21 लाख करोड़ का पैकेज
इन हालातों से निपटने के लिए सरकार ने 12 मई, 2020 को 20.97 लाख करोड़ रुपये यानी जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. हालांकि, इंडिया रेटिंग्स की गणना के अनुसार इस पैकेज का सीधा वित्तीय प्रभाव सिर्फ 2.14 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 1.1 प्रतिशत है. इसमें मौद्रिक उपाय और आम बजट के मौजूदा प्रस्ताव शामिल नहीं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक पैकेज में कर्ज और नकदी प्रबंधन के जो उपाय किए गए हैं, उससे अर्थव्यवस्था के आपूर्ति पक्ष के मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी. 

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