जाने-माने अर्थशास्त्री तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. अरविन्द पनगढ़िया ने कहा कि किसी भी सरकार का आंकलन उसके कार्यकाल के दौरान हुई प्रगति पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की पहल से आने वाले सालों में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार और तेज होगी और गरीबी कम होगी.
सरकार के सामने कई चुनौतियां
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के 'मेक इन इंडिया कार्यक्रम' के समक्ष कई चुनौतियां हैं. इसके समक्ष बैंको की दशा में सुधार करना तथा विनिर्माण क्षेत्र में विकास दर को बढ़ाने की चुनौती है ताकि अधिकाधिक रोजगार के अवसर मुहैया कराये जा सके. नीति के कार्यान्वन और परिणामों के बीच काफी अंतराल हैं. लेकिन आने वाले सालों में बढ़ी हुई वृद्धि दर और गरीबी की दर में कमी देखने को मिलेगी.
आर्थिक सुधार के क्षेत्र में देश अग्रसर
पनगढ़िया जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो साल के कार्यकाल पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होने कहा कि एक दशक में लम्बे विराम के पश्चात सरकार अर्थव्यवस्था को सुधार के पथ पर लाई है. हालांकि, इस सरकार ने पुरानी गलतियों को सुधारने की दिशा में काफी हद तक प्रगति की है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.
नीति आयोग की कोशिशें अब तक सफल
उन्होने योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग बनाये जाने को सही ठहराया. वर्तमान में नीति आयोग सात वर्षीय नीति और तीन वर्षीय अल्पकालीन समष्टिगत योजना के साथ 15 वर्षीय दीर्घावधि योजना पर कार्य कर रहा है. पनगढ़िया ने कहा कि यूपीए सरकार के पहला कार्यकाल तो ठीक रहा, लेकिन यूपीए दो में नीतिगत अपंगता के कारण अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ. एक समय तो ऐसा लगा कि देश फिर से 1991 के संकट की की तरफ बढ़ रहा है.
सरकार ने आर्थिक सुधारों के लिए उठाए कई कदम
उन्होंने सरकार द्वारा कोयला और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी में पारदर्शिता लाने, एफडीआई और श्रम सुधारों को बढ़ाने, कर सरलीकरण तथा कंपनियों के बंद करने के नियमों को सरल बनाने जैसे कदमों का उल्लेख किया. पनगढ़िया ने मोदी सरकार की स्मार्ट सिटी योजना की भी चर्चा की. सामाजिक क्षेत्र के सुधार कार्यक्रमों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत सारे बेनामी खातों के कारण वृहद् सामाजिक कार्यक्रम जैसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली, उर्वरकों तथा एलपीजी सिलेंडरों पर मिलने वाली सब्सिडी का दुरुपयोग होता रहा है. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और आधार कार्ड व्यवस्था द्वारा सब्सिडी के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिली.