देश की आर्थिक विकास दर 2015 में 6.4 फीसदी रहेगी. यह बात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कही है.
IMF ने एशिया और प्रशांत आर्थिक परिदृश्य की अक्टूबर 2014 की समीक्षा में कहा, 'गत आम चुनाव के बाद से देश की विकास दर का परिदृश्य बेहतर हुआ है. इसमें अनिश्चितता में आई कमी और कारोबारी मनोबल में आई मजबूती का भी योगदान है.'
IMF ने कहा कि पिछले आम चुनाव के बाद से आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है. पूंजी का प्रवाह बना है तथा निवेश व औद्योगिक गतिविधि में तेजी आई है.
IMF ने 2014 में 5.6 फीसदी और 2015 में 6.4 फीसदी विकास दर का अनुमान देते हुए कहा, 'भारत की विकास दर ने ऐसा लगता है कि निचला स्तर छू लिया है.'
IMF ने कहा, 'हालांकि महंगाई दर नीतिगत चिंता का विषय बनी रहेगी, जिसके 2014 और 2015 में क्रमश: 7.8 फीसदी और 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है.'
समीक्षा में कहा गया कि इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय जोखिमों से निपटने की क्षमता बढ़ी है. इसमें कहा गया है कि उदाहरण के तौर पर भारत में विदेशी पूंजी भंडार बढ़ा है, चालू खाता घाटा कम हुआ है. यह भी कहा गया है कि विकास दर की गति बनाए रखने के लिए किए गए सुधार से देश की जोखिम बर्दाश्त करने की क्षमता बढ़ी है.
भारत के मामले में पहले ब्याज दर में की गई वृद्धि और अन्य नीतिगत कदमों से महंगाई बढ़ने पर अंकुश लगा है और मौद्रिक सख्ती का पूरा प्रभाव अभी सामने आना बाकी है.
हालांकि ने कहा, 'भारत को निवेश के सामने आने वाली बाधाओं को और हटाना है. इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) व्यवस्था का और उदारीकरण करना और श्रम नियमन शामिल है.' इसमें यह भी कहा गया कि देश में औद्योगिक तेजी लाने के लिए ऊर्जा नीति बनाने की भी जरूरत है.