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कॉन्क्लेव: सोनिया बोलीं- देश में तैयार हो सेक्युलर फ्रंट, राजनीति को मिले नई दिशा

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 केमंच से सोनिया गांधी ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि 2019 के चुनावों में बीजेपी का अच्छे दिन का वादा एक बार फिर उनके लिए शाइनिंग इंडिया साबित होगा और इन चुनावों में यही सबसे बड़ा मुद्दा होगा.

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018: विचारों के आदान-प्रदान का महामंच
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018: विचारों के आदान-प्रदान का महामंच

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इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन अरुण पुरी ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव की शुरुआत करते हुए कहा कि पूरी दुनिया इस वक्त बड़े उलटफेर के दौर से गुजर रही है.

अरुण पुरी ने कहा कि दुनियाभर में नए तरीके का नेतृत्व देखने को मिल रहा है. कनाडा से लेकर ग्रीस तक और मेक्सिको से लेकर भूटान तक नए विचार दुनिया के सामने रखे जा रहे हैं. अरुण पुरी ने कहा कि दि ग्रेट चर्न में 5 अहम विरोधाभास देखने को मिल रहा है. इस कनेक्टेड दुनिया में नैशनलिज्म की वापसी देखने को मिल रही है, लोकतंत्र के सामने खतरा दिखाई दे रहा है, दुनिया के कई क्षेत्रों में तानाशाही प्रवृत्ति दिखाई दे रही है.

अरुण पुरी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से मीडिया को इंटरव्यू देने से परहेज कर रहीं कांग्रेस की पूर्व-अध्यक्ष सोनिया गांधी इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 17वें संस्करण के मंच पर देश और दुनिया से रूबरू हुईं. 19 साल तक कांग्रेस का नेतृत्व करने वाली सोनिया गांधी ने हाल ही में राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपने के बाद पहली बार किसी बड़े मंच पर शिरकत की. हालांकि, यह कोई पहला मौका नहीं है जब सोनिया ने गांधी इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शिरकत किया हो. इससे पहले सोनिया ने 2004 में दिल्ली में आयोजित कॉन्क्लेव में शिरकत की थी. बाद में उनके नेतृत्व में कांग्रेस और यूपीए ने लगातार दो बार लोकसभा चुनावों में जीत हासिल कर केंद्र में सरकार बनाई.

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10वां सत्र: दुनिया में दो प्रकार के भगवान

सेपियन्स्ः अ ब्रिफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमन काइन्ड के लेखक युवाल नोआ हरारी ने कहा कि मैं भगवान में विश्वास नहीं करता. हालांकि, फिर उन्होंने कहा कि दुनिया में दो प्रकार के भगवान हैं, एक वो हैं जो अदृश्य हैं जिसके बारे में हमें कुछ नहीं पता, जो कि रहस्यमयी है. जब किसी सवाल का जवाब विज्ञान से नहीं मिलता तो लोग कहते हैं कि ये भगवान ने किया या बनाया होगा. इस भगवान को न तो कभी देखा गया और न ही कभी सुना गया.

वहीं, दूसरे प्रकार के भगवान इसके बिलकुल विपरीत हैं, जिसके बारे में हम सभी को सब कुछ पता है, हमें ये पता है कि उन्होंने महिलाओं के फैशन के लिए क्या किया है, ह्यूमन सेक्सुअलिटी के लिए क्या किया, जो हमें बताते हैं कि हमें किसे वोट देना है. जिन्हें जादू आता है, जो ये कहते हैं कि एक व्यक्ति दो महिलाओं के साथ संबंध बना सकता है. ये बेहद खतरनाक प्रकार के भगवान हैं. मैं पहले वाले भगवान को मानता हूं.

नवां सत्र: दि मैडल फैक्ट्री - हाउ टु प्रोड्यूस विनर्स

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के अहम सत्र दि मैडल फैक्ट्री- हाउ टु प्रोड्यूस विनर्स में चीफ नैशनल कोच, इंडियन बैडमिंटन पुलेला गोपीचंद, ओलंपिरक सिल्वर मेडलिस्ट पीवी सिंधू और बैंडमिंटन चैंपियन किदांबी श्रीकांत ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन बोरिया मजूमदार ने किया.

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गोपीचंद ने कहा कि फाइनल में पहुंचकर हारना अच्छा नहीं लगता लेकिन हमें हार को कभी अगली तैयारी के सामने नहीं रखना चाहिए. गेम खत्म होने के बाद उससे सीख लेते हुए हमें हार को भूल जाना चाहिए क्योंकी भविष्य के खेल के लिए यह बेहद जरूरी है.

पीवी सिंधू ने कहा कि किसी मह्त्वपूर्ण गेम के फाइनल में पहुंचना बड़ी बात होती है. यहां पहुंचकर जीत और हार का ज्यादा मतलब नहीं रहता. आप हारते हैं तो आप गलतियों से सीख कर दूसरी बार फाइनल में पहुंचते हैं.

किदांबी ने कहा कि पूर्व के ओलंपिक में चीन ने बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन अब टॉप चार खिलाड़ी चार अलग-अलग देश से मुकाबले में रहते हैं. यह अच्छी बात है. यह भारत के लिए अच्छी बात है कि आज हम उस फाइनल में जगह बना रहे हैं और जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं.

साइना को वापस अकेडमी  में लेने पर गोपी ने कहा कि यह वह साइना को हर मदद देने की कोशिश करेंगे. हालांकि पीवी सिंधू ने कहा कि 2018 में वह खुद को वर्ल्ड नंबर वन की पोजीशन पर देखना चाहती हैं. वहीं किदांबी ने कहा कि उनके लिए कॉमनवेल्थ और एशिया ओपन में जीतना बेहद महत्वपूर्ण है. किदांबी ने कहा कि वह वर्ल्ड नंबर बनने के बारे वह ज्यादा नहीं सोचते.

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आठवां सत्र: मशीन ब्रेन वर्सेस दि ह्यूमन ब्रेन

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के अहम सत्र मशीन ब्रेन वर्सेस दि ह्यूमन ब्रेन में ड्यूक युनीवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ मुरली दोराइस्वामी और इंफोसिस के पूर्व सीईओ क्रिस गोपालाकृष्णन ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन राज चेनगप्पा ने किया.

इस सत्र के दौरान क्रिस ने कहा कि हम कंप्यूटर से काम कराने के लिए पहले एक प्रोग्राम बनाते हैं और वह उसी तरह से काम करता है. अगले चरण में हम कंप्यूटर को किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने में सक्षम बनाते हैं यानी हम कंप्यूटर को सिखाते हैं कि एक सेट ऑफ प्रॉबलम आती है तो वह खुद कैसे उसे सॉल्व कर सकता है.

डॉ मुरली ने कहा कि दुनिया चौथे इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन में है. आज हमारे कंप्यूटर बंदर से भी तेज सोचने का काम करते हैं. आज कंप्यूटर किसी चेहरे को भी पहचान सकता है. बीते कुछ दशकों में जिस तरह ह्यूमन ब्रेन डेवलप हुआ है उससे कहीं ज्यादा रफ्तार से कंप्यूटर का ब्रेन डेवलप हुआ है.

इस सत्र के दौरान इंफोसिस के पूर्व प्रमुख ने कहा कि भविष्य में कंप्यूटर इंसान से अधिक काम करने लगेंगे. क्रिस के मतुाबिक मौजूदा डिजिटल एज में प्राइवेसी का मुद्दा अब खत्म हो चुका है. वहीं डॉ मुरली ने कहा कि ह्यूमन इंटेलिजेंस में अभीतक हम सिर्फ 30 प्वाइंट आगे बढ़ें है. हमें और आगे बढ़ने के लिए ब्रेन साइंस में निवेश की जरूरत है.

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सातवां सत्र: फ्रंट रो- रीइनवेंटिंग दि क्लासिक

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के अहम सत्र फ्रंट रो- रीइनवेंटिंग दि क्लासिक में फैशन डिजाइनर नईम खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सफेद रंग का कपड़ा पहनना चाहिए. सफेद रंग में वह खुद को अधिक न्यूट्रल दिखा सकेंगे. अलाउद्दीन खिलजी की ड्रेस के लिए सब्यसाची ने कहा कि ऑग्रेनिक ड्रेस अधिक सूट करेगी.

हालांकि रानी की झासी के लिए फईम ने कहा कि साड़ी बेहतर ड्रेस होगी. वहीं राहुल गांधी के लिए डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने कहा कि उनकी ड्रेसिंग सेंस बहुत मच्योर है. कॉटन कुर्ता और जैकेट बेहतरीन लगता है. मुझे उम्मीद है कि उनकी ड्रेस कहीं विदेश में डिजाइन होती है.

वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए सब्यसाची ने कहा कि उनकी पर्सनालिटी के साथ फ्रेंच अधिक अच्छा लगेगा. सब्यसाची ने कहा कि कोलकाता में नमो नाम से एक बंडी जैकेट का ब्रांड है. लेकिन प्रधानमंत्री काफी कुछ फ्रेंच की तरह लगते हैं. वहीं नईम ने कहा कि पीएम मोदी का ड्रेस सेंस बहुत बेहतर है.

छठवां सत्र: बैंरीक्लेमिंग बैड एसेट्स- आर बैंक्स बैंकरप्ट

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के छठवें सत्र: रीक्लेमिंग बैड एसेट्स- आर बैंक्स बैंकरप्ट में रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड की पूर्व सीईओ  मीरा सान्याल और अर्न्स्ट एंड यंग के पार्टनर अबीजर दीवानजी ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन बिजनेस टुडे के मैनेजिंग एडिटर राजीव दूबे ने किया. इस सत्र के दौरान हाल में हुए नीरव मोदी बैंक घोटाले के बाद किस तरह से देश की बैंकिंग व्यवस्था को मजूबत किया जाए पर चर्चा की गई.

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मीरा सान्याल ने कहा कि वित्त मंत्रालय के सामने चुनौती उभरते भारत की फंडिंग पैटर्न को समझने की और उसे पूरा करने के लिए फंड की व्यवस्था करने की है.

वहीं अबीजर दीवानजी ने कहा कि देश में सरकार अभी भी उन क्षेत्रों में अधिक खर्च करती हैं जहां खर्च करने की जरूरत नहीं है. यह बात अबीजर ने देश में सरकार द्वारा रूरल सेक्टर में किए जाने वाले खर्च के संदर्भ में कही. हालांकि मीरा ने कहा कि वह अबीजर की बात से इत्तेफाक नहीं रखती हैं.

मीरा ने कहा कि यह सच्चाई है कि पीएसयू बैंक के प्रमुखों पर लोन के लिए सरकार की तरफ दबाव रहता है. लिहाजा देश में सीनियर स्तर के बैंक अधिकारियों की अकाउंटिबिलिटी तय करने की जरूरत है. जिससे किसी भी बैंक कर्मचारी को यदि लोन देने में किसी तरह की लिप्तता पाई जाती है तो उसे कम से कम सात साल की कैद का प्रावधान किया जाना चाहिए.

पांचवां सत्र अयोध्या: पॉलिटिक्स ऑफ हेट

क्यों नहीं हम सब मिलकर मंदिर बनाते हैं? इस सवाल पर आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलीमीन के प्रेसिडेंट असादुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस मामले में बेहतर है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करें. ओवैसी के मुताबिक यह मुद्दा लोगों की निजी भावनाओं पर नहीं तय किया जा सकता है.

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संबित पात्रा ने कहा कि इस मामले को आस्था के आधार पर भी तय किया जा सकता है. इस मामले पर संजय निरुपम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में आस्था को आधार लेकर फैसला नहीं किया जा सकता है.

श्री श्री रविशंकर के सीरिया पर दिए बयान पर संबित पात्रा ने कहा कि उनका निजी तौर पर मानना है कि श्री श्री रविशंकर ने ऐसा बयान देश में हालात को बिगाड़ने के लिए नहीं कहा है. इस मामले पर ओवैसी ने कहा कि भारत को सीरिया बनाने का दावा करने वाले श्री श्री रविशंकर कौन हैं?

संजय निरुपम ने दावा किया कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आम चुनावों से ठीक पहले लाने जा रही है केन्द्र सरकार. निरुपम ने कहा कि जैसे ही चुनाव नजदीक आते हैं बीजेपी मंदिर का मुद्दा उठाती है.

चौथा सत्र: इनसाइट- कार्लो राती

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के इस अहम सत्र में अर्किटेक्ट कार्लो राती और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने शिरकत की. इस सत्र में आर्किटेक्चर की दुनिया में प्रख्यात कार्लो ने भारत में मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित 100 स्मार्ट सिटी योजना पर अहम बातचीत की. वहीं नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने इस सत्र के दौरान स्मार्ट सिटी परियोजना में सुधार पर टिप्स मांगे. 

कार्लो राती ने कहा कि स्मार्ट सिटी शब्द पर मुझे आपत्ति है. आज हमारे शहरों में इंटरनेट जगह बना रहा है.

अमिताभ कांत ने पूछा कि 100 स्मार्ट सिटी को सही करने के लिए क्या जरूरी?

कार्लो ने कहा कि स्मार्ट सिटी दुनिया का एक बड़ा प्रोजेक्ट है. आज कार इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत अहम हिस्सा है. लेकिन यदि हम सेल्फ ड्राइविंग स्टेज में आते हैं तो गाड़ियां दूसरों को दे सकते हैं. भारत में सेल्फ ड्रिवेन वेहिकल बहुत प्रभावी नहीं है.

स्मार्ट सिटी में टेक्नोलॉजी का अहम रोल है.

भारत में पब्लिक मोबिलिटी के लिए क्या किया जा सकता है?

एनर्जी एफिसिएंसी बेहद अहम है. सोलर पावर का अहम रोल है.

इस धरती पर लंबे समय तक बने रहने के लिए जरूरी है कि एनर्जी को बचाया जाए.

हमें टूरिज्म के तरीके को बदलने की जरूरत है.

क्या हिमालय में ऐसी जगह खोजी जा सकती है जहां एक ग्लोबल सिटी बनाया जा सके.

बार्सिलोना में टूरिज्म से लोगों को परेशानी हो रही है.

सिंगापुर में लिटिल इंडिया है, हम इंडिया में लिटिल सिंगापुर कैसे बना सकते हैं.

आने वाले दिनों में भारतीय शहर दुनिया के सामने एक सफल कनेक्टेड शहर देंगे और नए तरीकों के शहर.

दोनों पुराने शहरों को स्मार्ट सिटी और नई स्मार्ट सिटी बनाने का काम होना चाहिए.

तीसरा सत्र: हार्ट ऑफ हैपिनेस- अल्ट्रूइज्म एंड कॉम्पैशन

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के तीसरे अहम सत्र हार्ट ऑफ हैपिनेस- अल्ट्रूइज्म एंड कॉम्पैशन में बौद्ध गुरू मैथ्यू रिकार्ड ने शिरकत की. मैथ्यू ने कहा कि साइंटिफिक और इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन से हमने अपनी शक्ति में इजाफा किया है लेकिन हमारी लोगों की देखभाल करने की क्षमता कम हो गई.

दूसरा सत्र: प्वाइंट ऑफ व्यू: टरमॉयल नाडू- हू विल फिक्स इट

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के दूसरे अहम सत्र टरमॉयल नाडू- हू विल फिक्स इट (Turmoil Nadu: Who will fix it?) में फिल्म एक्टर और पॉलिटीशियन कमल हासन ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन पद्मजा जोशी ने किया.

अब फिल्म और एक्टिंग में अपना योगदान पूरा कर चुका हूं लिहाजा अब यह नई जिम्मेदारी निभा रहा हूं. कमल हासन ने कहा कि तमिलनाडु में बीते 50 साल से मीडियॉक्रिटी का माहौल था और इसने मुझे राजनीति में आना पड़ा. मैं राजनीति के मौजूदा स्वरूप को चुनौती दे रहा हूं. तमिलनाडु में पोलिटिकल पार्टियों ने पहले तमिल प्राइड का सहारा लिया लेकिन सिर्फ मीडियॉक्रिटी को आगे बढ़ाया.

कमल हासन ने कहा कि मेरे लिए पार्टी का नाम मायने नहीं रखता. यदि कोई भी पार्टी देश के खिलाफ जाती है तो मैं उसका विरोध करुंगा. कमल हसन ने कहा कि वह समाज में अतिवाद के खिलाफ है. पेरियार की मूर्ति को तोड़ना इसका उदाहरण है.

कमल हासन ने कहा कि उन्होंने किसी मौजूदा पार्टी को ज्वाइन करने से ज्यादा तरजीह नई पार्टी लॉन्च करने को दी क्योंकि उनकी स्थिति ठीक उस भूखे इंसान की तरह थी जिसके सामने सिर्फ सड़ा-गला खाना पड़ा था. वहीं अन्य पार्टियों में किसे देखकर उन्हें प्रेरणा मिलती है पर कमल हासन ने कहा कि वह अरविंद केजरीवाल, पिनाराई विजयन और चंद्रबाबू नायडू उन्हें पसंद हैं क्योंकि ये सभी मौजूदा समय में अच्छा काम कर रहे हैं.

वहीं फिल्में मे काम करने पर कमल हासन ने कहा कि वह राजनीति में पूरी गंभीरता के साथ आए हैं हालांकि उन्होंने फिल्मों में काम करने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया. कमल हासन ने कहा कि फिल्में उनके राजनीतिक सफर के दौरान रास्ते में आ सकती हैं.

कमल हासन ने कहा कि वह डीएमके और एआईएडीएमके को साफ संदेश देना चाहते हैं कि दोनों पार्टियां जल्द से जल्द सुधर जाएं नहीं तो उनकी पार्टी अब तमिलनाडु में सत्ता संभालने जा रही है.

पहला सत्र: डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी, डिमांड: मिस्ट्री ऑफ मिसिंग जॉब्स

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के पहले अहम सत्र डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी, डिमांड: मिस्ट्री ऑफ मिसिंग जॉब्स में केन्द्रीय मंत्री जयंत सिन्हा, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, कोटक प्रमुख उदय कोटक, अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया और सेंटर फॉर पॉलिसी ऑल्टरनेटिव मोहन गुरुस्वामी ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन राजदीप सरदेसाई ने किया.

इस सत्र के दौरान राजदीप ने पूछा कि आखिर देश इतनी अच्छा आर्थिक रफ्तार के साथ भाग रहा है तो नौकरियां कहां है. जयंत सिन्हा ने कहा कि देश में बेरोजगारी इतनी बड़ी समस्या नहीं है जितना कांग्रेस दावा कर रही है. सचिन पायलट ने कहा कि बीजेपी का यह दावा कि देश में कई ऐसे क्षेत्र में नौकरियां आई हैं जिसे आंकड़ों में नहीं दर्शाया जा सका है पूरी तरह गलत है. पायलट ने कहा कि पूरी ग्रोथ सिर्फ आंकड़ों में है लेकिन नई नौकरियों को लाने की कोशिश करने की जरूरत है.

पायलट ने कहा कि केन्द्र सरकार को यह मानने की जरूरत है कि देश में रोजगार बड़ी चुनौती है क्योंकि इसे नकार कर कोई फायदा नहीं होगा.

इस सत्र के दौरान उदय कोटक ने कहा कि एजुकेशन और हेल्थकेयर के क्षेत्र में बड़ी नौकरियां आ सकती हैं. कोटक ने कहा कि 60 के दशक में भारत और चीन में लगभग एक समान जीडीपी थी. लेकिन फिर 70, 80 और 90 के दशक में चीन इतना आगे निकल गया कि हमें अगले कई दशक लगाने होंगे उसकी बराबरी करने के लिए.

अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि जॉबलेस ग्रोथ की पूरी डीबेट पूरी तरह बकवास है. अरविंद ने कहा कि यदि विकास दर बढ़ रही है तो जाहिर है कि लोगों को रोजगार मिल रहा है. अरविंद ने कहा कि कई सेक्टर में आ रही नई नौकरियों को आंकड़ों में शामिल नहीं किया जा रहा है. लिहाजा देश में बेरोजगारी से बड़ी समस्या अर्ध-बेरोजगारी की है. देश में लोगों के लिए नौकरियां हैं लेकिन जरूरत अच्छी नौकरियों की है.

मोहन गुरुस्वामी ने कहा कि बीते 17 वर्षों में बेरोजगारी अपने न्यूनतम स्तर पर है लिहाजा मौजूदा सरकार इस बात को मान नहीं रही है कि देश में बेरोजगारी खतरनाक स्तर पर है. सच्चाई यही है कि देश में इकोनॉमी बढ़ रही है लेकिन फायदा सिर्फ 1 फीसदी लोगों को हो रहा है. इसका नतीजा है कि देश में नई नौकरी नहीं पैदा हो रही है.

उदय कोटक ने कहा कि देश में नौकरी देने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं है. नीजि क्षेत्र को इस काम में ज्यादा अहम भूमिका निभाने की जरूरत है. वहीं सचिन पायलट ने कहा कि सबसे पहले यह पोलिटिकल क्लास और खास तौर पर सत्तारूढ़ क्लास की जिम्मेदारी है कि उनकी नीतियों से देश में रोजगार के नए संसाधन पैदा हों.

की-नोट एड्रेस: सोनिया गांधी

सोनिया गांधी ने कहा कि पब्लिक स्पीकिंग मेरे लिए बहुत स्वाभिक नहीं है लिहाजा मैं पढ़ने में ज्यादा समय देती हूं. अब मैं एक सामान्य कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में हूं. सोनिया गांधी ने कहा कि वह देश से पूछना चाहती हैं कि क्या मई 2014 से पहले देश एक ब्लैकहोल था और सिर्फ इस तारीख के बाद ही देश ने सबकुछ किया है.

सोनिया गांधी ने कहा कि सत्तारूढ़ सरकार की तरफ से उन्मादी बयान जानबूझ कर दिए जा रहे हैं और इसके गलत परिणाम हमारे सामने होंगे. मौजूदा समय में खुद के विषय में सोचने पर भी हमला किया जा रहा है. धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. दलितों और महिलाओं पर सुनियोजित हमला किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में उस भारत का क्या हुआ जो हम बनाना चाहते थे.

हमें तेज चलने की जरूरत है लेकिन इतना तेज भी नहीं कि बड़ी जनसंख्या पीछे छूट जाए. सोनिया गांधी ने कहा कि मैक्सिमम गवर्नमेंट का क्या मतलब है जब देश में लोगों को नौकरी नहीं दी जा सकती है. सोनिया गांधी ने कहा कि नोटबंदी ने किस तरह अर्थव्यवस्था को पीछे ढ़केल दिया यह पूरा देश जानता है. वहीं किसानों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. सोनिया ने कहा कि हमें चीजों को उसी तरह देखने की जरूरत है जैसी वह वास्तविकता में हैं न कि उसे पैकेज करके.

सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद अब उनके पास अधिक समय है. लिहाजा इस समय में वह राजीव गांधी से जुड़े पुराने दस्तावेजों को पढ़ने और परिवार की जिम्मेदारी निभाने में लगा रही है. अरुण पुरी ने पूछा कि क्या पार्टी का पद छोड़ने के साथ उनका राजनीतिक सफर खत्म माना जाए. सोनिया ने कहा कि वह राहुल के साथ पार्टी के मामलों पर लगातार बातचीत करती रहती हैं. वहीं सोनिया ने कहा कि उनकी कोशिश है कि वह देश में एक सेक्युलर फ्रंट को तैयार करने में भूमिका अदा करें जिससे देश की राजनीति को अच्छी दिशा मिलती रहे.

राहुल गांधी को सलाह के मुद्दे पर सोनिया ने कहा कि वह अपना मत किसी पर थोपने की कोशिश नहीं करती है. लिहाजा यह जरूरी कि उन्हें उनका काम करने की पूरी स्वतंत्रता रहे. सोनिया ने कहा कि पार्टी के सभी नेताओं का काम करने का अपना तरीका है. राहुल की भी अपनी स्टाइल है. राहुल की कोशिश रही है कि कांग्रेस में नई जान फूंकने के कदम उठाए जाएं, हालांकि इस कोशिश में वरिष्ठ नेताओं को भूलने की नहीं बल्कि युवाओं को उनके साथ आगे लाने की है.

सोनिया ने कहा कि कांग्रेस की लगातार 10 साल तक सरकार रही लिहाजा 2014 में कुछ एंटीइन्कम्बेंसी थी. इसके साथ ही कांग्रेस को नरेन्द्र मोदी के सामने मार्केटिंग में मात खानी पड़ी. लिहाजा, सोनिया ने कहा कि कांग्रेस को आम आदमी से कनेक्ट करने के लिए नई स्टाइल की जरूरत है. इसके साथ ही कांग्रेस को अपने प्रोग्राम और पॉसिलीज को नए तरीके से पेश करने की जरूरत है.

2014 के आमचुनावों में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बना लेकिन यह मुद्दा गलत आंकड़ों और दावों पर तैयार किया गया था. सीएजी की भूमिका भी इस मुद्दे को बढ़ाने में अहम थी. उस वक्त गुजरात में गैस के मुद्दे पर भी सीएजी ने सवाल उठाया था लेकिन अब उस मुद्दे को उठाने की आजादी नहीं है वहीं मौजूदा सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर रही है.

मैं मोदी को नहीं जानती. बतौर प्रधानमंत्री उन्हें संसद में अथवा देश और दुनिया में अलग-अलग कार्यक्रमों में जरूर देखती हूं. लेकिन निजी तौर पर मैं उन्हें नहीं जानती. सोनिया ने कहा कि बीजेपी के सपोर्टर अब संसद में उनका विरोध कर रहे हैं. टीडीपी, शिवसेना जैसी पार्टियां भी अब उनका विरोध कर रही हैं.

सोनिया ने कहा कि 2019 में मुख्य मुद्दा बीजेपी द्वारा बीते 5 साल के दौरान किए गए वादे होंगे क्योंकि पूरा कार्यकाल खत्म होने के बाद भी उनके सारे वादे सिर्फ सुनहरे वादे ही रह गए. मुझे पूरा भरोसा है कि बीजेपी के अच्छे दिन एक बार फिर उनके लिए शाइनिंग इंडिया बनने जा रहा है.

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