बैड लोन की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए दो दर्ज से ज्यादा वित्तीय संस्थाओं ने हाथ मिला लिया है. सोमवार को 22 सरकारी बैंकों, जिसमें कि भारतीय पोस्ट पेमेंट्स बैंक भी शामिल है. ने 19 निजी वित्तीय संस्थाओं और 32 विदेशी बैंकों के साथ मिलकर इंटर-क्रेडीटर्स एग्रीमेंट (ICA) पर हस्ताक्षर किए हैं. गैर-निष्पादित संपत्ति (NPA) के मामलों से निपटने के लिए यह करार किया गया है.
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने इसे एक बड़ा कदम बताया है. उन्होंने कहा, ''बैड लोन की समस्या से लड़ने के लिए यह एक बड़ा कदम है.'' इस करार पर हस्ताक्षर करने वाली 12 बड़े वित्तीय संस्थानों में एलआईसी और हुड़को ने भी शामिल है.
इंटर-क्रेडिटर्स एग्रीमेंट सरकार के 'सशक्त' प्रोजेक्ट का हिस्सा है. बैड लोन की समस्या से निपटने के लिए मुख्य बैंक की तरफ से रेजोल्यूशन प्लान ओवरसीइंग कमिटी को सौंपा जाएगा. इस करार के तहत कंसोर्टियम में शामिल मुख्य बैंक को ज्यादा शक्तियां दी गई हैं. किसी रेजोल्शून प्लान को मंजूरी तब ही दी जाएगी, जब कंसोर्टियम में शामिल 66 फीसदी बैंक और वित्तीय संस्थाएं इसके लिए हामी भरें.
आईसीए के मुताबिक मुख्य बैंक को रेजोल्यूशन प्लान तैयार करने का अधिकार होगा. उसे इन्हें देनदारों के सामने पेश करना होगा. इस करार के तहत कम से कम 50 करोड़ रुपये तक के एनपीए के मामले शामिल हैं.
रेजोल्यूशन अप्रूव होने के बाद मुख्य बैंक अगले 180 दिनों के भीतर इस प्लान को लागू करेगा. इसके बाद लीड बैंक विशेषज्ञों और इंडस्ट्री विशेषज्ञों को साथ लेकर इस प्लान को बेहतर तरीके से लागू करने का काम करेगा.