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नोटबंदी के 50 दिन: बैंकों में जी-तोड़ काम फिर भी हुए बदनाम!

नोटबंदी की घोषणा ने अगर आम आदमी को कतार में खड़ा किया तो देश के सरकारी और गैर-सरकारी 1,38,868 बैंक ब्रांचों को देश की 86 फीसदी करेंसी बदलने के लिए तैनात कर दिया. इन 50 दिनों में देश के सभी बैंकों ने इस काम को बखूबी निपटाया लेकिन फिर भी देशभर में कई घटनाएं ऐसी सामने आईं कि इन्हें बदनामी का भी सामना करना पड़ा.

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नोटबंदी में कड़ी मेहनत के बाद भी आलोचना का शिकार भारतीय बैंक
नोटबंदी में कड़ी मेहनत के बाद भी आलोचना का शिकार भारतीय बैंक

देश में 8 नवंबर को प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की. इस घोषणा ने अगर आम आदमी को कतार में खड़ा किया तो देश के सरकारी और गैर-सरकारी 1,38,868 बैंक ब्रांचों को देश की 86 फीसदी करेंसी बदलने के लिए तैनात कर दिया. इन 50 दिनों में देश के सभी बैंकों ने इस काम को बखूबी निपटाया लेकिन फिर भी देशभर में कई घटनाएं ऐसी सामने आईं कि इन्हें बदनामी का भी सामना करना पड़ा.

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1. बीते 50 दिनों से बैंकों की सभी ब्रांचें सिर्फ और सिर्फ एक कोशिश में लगी हैं कि 500 और 1000 रुपये की करेंसी को बदलने में देश के सवा सौ करोड़ नागरिकों को कम से कम मुश्किलों का सामना करना पड़े.

2. इन सभी बैंक ब्रांचों ने 50 दिनों में 90 फीसदी से अधिक पुरानी करेंसी को जमा करा दिया है और 50 फीसदी से अधिक नई करेंसी के संचार को सुचारु कर दिया है.

3. एक्सिस बैंक समेत कई सरकारी और प्राइवेट बैंक पर ब्लैकमनी को व्हाइट करने के कई आरोप लगे . इन बैंकों के कई कर्मचारियों और अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया.

4. बैंकों पर सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ कि जब रिजर्व बैंक ने नई करेंसी को राशन करके वितरित करने का निर्देश दिया तो कैसे बाजार में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में नई नोट एक साथ बरामद की गईं.

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5. इन 50 दिनों के दौरान बैंकों पर उंगली उठने के साथ-साथ इनके रेग्युलेटर रिजर्व बैंक पर भी सवाल खड़ा हुआ. ब्लैक को व्हाइट करने के लिए पुरानी करेंसी के बदले नई करेंसी उपलब्ध कराने में रिजर्व बैंक के कुछ अधिकारियों पर भी आंच आई.

6. नोटबंदी के 50 दिनों के दौरान देश के सरकारी बैंकों में खुले लगभग 21 करोड़ जनधन बैंक खातों का जमकर दुरुपयोग किया गया. देश में कुल 26 करोड़ जनधन खाते हैं. सरकारी बैंक में खुले ज्यादातर इन खातों में बड़ी मात्रा में पुरानी करेंसी को व्हाइट करने के लिए जमा किया गया.

7. नोटबंदी लागू होने का वक्त देश में शादियों के सीजन में हुआ. इसका सीधा असर उन परिवारों पर पड़ा जिनके घर में शादी की पूरी तैयारी की जा चुकी थी. वहीं केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक ने इस समस्या को संज्ञान में लेते हुए रियायत बरतने का निर्देश दिया जिसे ज्यादातर बैंकों ने कैश अनउपलब्धता के चलते मना कर दिया. बैंकों ने दलील दी कि उन्हें इस आशय रिजर्व बैंक से लिखित आदेश नहीं मिला है.

8. नोटबंदी लागू होने के बाद जहां बैंकों में पुराने नोट जमा कराकर नए नोट प्राप्त किए जा रहे थे वहीं देश के एटीएम को टेक्निकल दिक्कतों के कारण तत्काल प्रभाव से चालू नहीं किया जा सका. बीते 50 दिनों के बाद आज भी कई ऐसे एटीएम हैं जिन्हें कैश सप्लाई नहीं की जा पा रही है. बैंकों पर आरोप लग रहा है कि वह एटीएम के लिए जारी किए गए पैसों को इस्तेमाल भी पुरानी करेंसी को नई में बदलने के लिए कर रहे हैं.

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