देश में विलय और अधिग्रहण (M&A) बाजार का 12 फीसदी विस्तार हुआ है. 2013-14 में 22.6 अरब डॉलर मूल्य के एमएंडए का खुलासा किया गया, जो एक साल पहले 20.1 अरब डॉलर था. यह बात एक वैश्विक परामर्श सेवा कंपनी अर्न्स्ट एंड यंग (EY) ने कही.
EY के सौदा परामर्श सेवा के राष्ट्रीय निदेशक और साझेदार अमित खंडेलवाल ने कहा, 'देश के विकास में वैश्विक कंपनियों की रुचि बनी हुई है और यह उनके आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.'
EY की एमएंडए पर सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि जिन M&A में भारतीय कंपनियां शामिल हैं, उनकी संख्या 2013-14 में साल-दर-साल आधार पर 20 फीसदी कम 674 रहीं, जो एक साल पहले 2012-13 में 843 थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, उस अवधि में सीमा के आर-पार एमएंडए की संख्या 293 रही, जो कुल 17.8 अरब डॉलर मूल्य के थे. यह मूल्य 2012-13 की अपेक्षा 20 फीसदी अधिक है.
इन सौदों में विदेशी कंपनियों द्वारा भारतीय कंपनियों की खरीदारी की संख्या और उनका कुल मूल्य दूसरे वर्गों की अपेक्षा अधिक रहा, क्योंकि विदेशी कंपनियों ने रुपये में आई कमजोरी का फायदा उठाकर भारतीय कंपनियों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई.
रिपोर्ट के मुताबिक, 'विदेशी कंपनियों द्वारा भारतीय कंपनियों के विलय या अधिग्रहण का कुल मूलय 10.9 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले के कारोबारी वर्ष के मूल्य 8.4 अरब डॉलर से 29 फीसदी अधिक है.'
रिपोर्ट में कहा गया है, 'ऐसा लगता है कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत के दीर्घावधिक विकास पर अधिक भरोसा हो चला है और वे देश के आर्थिक परिदृश्य को लेकर आशावान हैं.'