भारतीय रेल का सच जानने के लिए आजतक की पड़ताल जारी है. ठीक रात के 11 बजकर 50 मिनट पर नई दिल्ली से कानपुर सेंट्रल के लिए श्रमशक्ति एक्सप्रेस के छूटने का टाइम है.
हर तरफ महिला सुरक्षा की बहस छिड़ी है भारतीय रेलवे इससे अछूती कैसे रहेगी. ट्रेन में एक भाई अपनी मां और बहनों की सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद नज़र आया तो तो किसी ने ऐसे अनुभव हमें बताए कि महिलाओं को भारतीय रेल में डर लगना लाज़िमी है.
महिलाएं डरें भी क्यों ना. वो रेल मंत्री से शिकवा करें भी क्यों ना. भारतीय रेल को कोसें क्यों ना. सुबह के 3 बज गए इस इंतज़ार में कि कहीं से कोई आरपीएफ का जवान सुरक्षा का हाल चाल जानने आए और हम भी उससे दो चार सवाल करें. लेकिन ट्रेन कानपुर पहुंचने वाली थी, .आरपीएफ का कोई जवान नहीं आया.
जी हां दिल्ली से कानपुर के सफर पर हमें जनरल डिब्बे से लेकर स्लीपर क्लास तक और स्लीपर से लेकर एसी तक, आरपीएफ का एक जवान नहीं दिखा. जब हमारी टीटी से बात हुई थी, तो उन्होंने हमें बताया कि रेलवे पुलिस हर डिब्बे में गश्त लगाती है. लोगों के शिकवे शिकायतों का पिटारा खुलता रहा महिलाएं सुरक्षा का रोना रोती रहीं और हम पहुंच गए कानपुर सेंट्रल.