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अब स्टेशनों पर वीडियो वॉल लगाकर अपनी कमाई बढ़ाएगा रेलवे

अब रेलवे अपनी गाड़ियों की रफ्तार ही नहीं बल्कि स्टेशनों की चमक भी बढ़ाने में जुटा है. साफ सफाई अभियान के बाद अब रेलवे स्टेशनों पर व‍िज्ञापन वाले होर्डिंग और बिलबोर्ड इतिहास बन जाएंगे. इनकी जगह जगमगाते एलईडी वाले वीडियो वॉल नजर आएंगे.

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4 स्टेशनों पर 6 महीने तक होगा ट्रायल
4 स्टेशनों पर 6 महीने तक होगा ट्रायल

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अब रेलवे अपनी गाड़ियों की रफ्तार ही नहीं बल्कि स्टेशनों की चमक भी बढ़ाने में जुटा है. साफ सफाई अभियान के बाद अब रेलवे स्टेशनों पर व‍िज्ञापन वाले होर्डिंग और बिलबोर्ड इतिहास बन जाएंगे. इनकी जगह जगमगाते एलईडी वाले वीडियो वॉल नजर आएंगे.

महानगरों के बड़े स्टेशनों पर 20 फुट लंबे और 20 फुट चौड़े वीडियो वॉल पर चलते फिरते जीवंत विज्ञापन तो होंगे ही साथ ही सतर्कता और सजकता के संदेश भी दिखेंगे. इसके अलावा ट्रेनों के परिचालन संबंधित जानकारी भी होगी. मसलन कौन सी ट्रेन किस प्लेटफार्म पर आ रही है या खड़ी है या फिर कितनी देरी से चल रही है जैसी जानकारियां. ये सब कुछ हो रहा है रेलवे की टिकटों और माल ढुलाई से होने वाली आमदनी से अलग आमदनी के मद में.

रेलवे को तीन हजार करोड़ तक की अतिरिक्त आय होगी
इस नई योजना के तहत सभी बड़े स्टेशनों पर ऐसी डिजिटल क्रांति होगी. चुनिंदा स्टेशनों में से हरेक पर दो सौ वीडि‍यो वॉल लगाए जाएंगे. रेलवे को उम्मीद है कि इससे हर साल तीन हजार करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त आय होगी. रेलवे बोर्ड के नॉन फेयर रेवेन्यू डायरेक्टरेट के विशेषज्ञ अधिकारियों की टीम ने रोड मैप का ब्लूप्रिंट भी तैयार कर लिया है. पूरी योजना को रेल मंत्री प्रभु का आशीर्वाद भी मिल चुका है. परियोजना के मुताबिक पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के चार स्टेशनों पर छह महीने के लिए इसका ट्रायल होगा.

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हर स्टेशन पर पांच करोड़ रुपये खर्च होंगे
रेल टेल ने जयपुर, ग्वालियर, गोरखपुर और दिल्ली के लिए टेंडर भी निकाले थे. इसमें पांच कंपनियों ने दिलचस्पी ली थी. प्रक्रिया पूरी होने पर चार कंपनियों को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुन लिया गया. उनसे सारी शर्तें भी तय हो गई हैं. इन कंपनियों के मुताबिक वीडियो वॉल लगाने में प्रति स्टेशन पांच करोड़ रुपये की लागत आयेगी. इस बाबत काम अगले हफ्ते से शुरू हो जाएगा और सब कुछ सुनियोजित चला तो अगले दो महीनों में ये वीडियो वॉल जगमगाने भी लगेंगी.

ये होगा रेवेन्यू शेयर का फॉर्मूला
रेल मंत्रालय के मुताबिक इस परियोजना में रेलवे जगह और सुविधा मुहैया कराएगा जबकि सारे खर्चे कंपनियां खुद करेंगी. रही बात रेवेन्यू शेयर की तो विज्ञापनों से मिलने वाले रेवेन्यू में से 25 फीसदी रेलवे का होगा और बाकी 75 फीसदी इन कंपनियों का. पहले तीन महीनों तक इन कंपनियों का रवैया देखा परखा जाएगा. सब कुछ सही रहा तो अगले तीन महीनों तक करार को आगे बढ़ा दिया जाएगा.

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