इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने खाद्य सचिव से मिलों को अतिरिक्त 10 लाख टन चीनी के निर्यात (Sugar Export) करने की अनुमति देने का आग्रह किया है. इस सीजन (अक्टूबर 2021-सितंबर 2022) में निर्यात ही कच्ची चीनी (Raw Sugar) के लिए एकमात्र बेहतर विकल्प बचा है. ISMA के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने शुक्रवार को खाद्य सचिव को लिखे पत्र में कहा कि आप जानते होंगे कि निर्यात के लिए कच्ची चीनी के उत्पादन की योजना निर्यात अनुबंधों (Sugar Export Contract) के आधार पर एडवांस में ही कर ली जाती है. तय अनुबंध के अनुसार चीनी के निर्यात के लिए आदेश जारी किया जा चुका है. लेकिन अभी भी बड़ी मात्रा में मिलों के पास कच्ची चीनी पड़ी है.
निर्यात के अलावा कोई विकल्प नहीं
उन्होंने कहा कि जिन मिलों ने पहले ही कच्ची चीनी का उत्पादन कर लिया है, उनके पास निर्यात के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है. वो कच्ची चीनी को सफेद में नहीं बदल सकते, क्योंकि पेराई का सीजन खत्म हो चुका है. इसलिए अब इसे बाजार में भी नहीं बेचा जा सकता है. इस स्थिति में कच्ची चीनी के लिए निर्यात ही एकमात्र विकल्प बचा है. हाल ही में ISMA ने अपनी समिति की बैठक में 350 लाख टन से 360 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान जताया था. महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में गन्ने की अधिक उपलब्धता के कारण चीनी के उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान है.
नहीं होगी चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी
आदित्य झुनझुनवाला ने कहा कि बढ़े हुए अनुमानित चीनी उत्पादन को देखते हुए इस सीजन में और 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी जाए. ISMA ने कहा कि मई के अंत तक लगभग 86 लाख टन के रिकॉर्ड निर्यात के बावजूद देश में चीनी की कीमतों में अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई है. चीनी का रेट 33-34 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है, जो अभी भी लागत से कम है. 10 लाख टन और चीनी के निर्यात से घरेलू चीनी की स्थिति किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होगी. एक अक्टूबर 2022 से शुरू होने वाले अगले सीजन में कम से कम ढाई महीने के लिए देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए चीनी की उपलब्धता रहेगी.
निर्यात में भारत का रिकॉर्ड
चालू वित्त वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए करीब 90 लाख टन के निर्यात के लिए अनुबंध हो चुके हैं. चीनी मिलों से करीब 86 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है, जो एक रिकॉर्ड है. साल 2020-21 में चीनी का निर्यात 70 लाख टन और 2019-20 में 59.6 लाख टन रहा था. इस वित्त वर्ष में भारत चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. पिछले सीजन 506 मिलों में गन्ने की पेराई हुई थी. इस सीजन 2021-22 में कुल 522 चीनी मिलों में गन्ने की पेराई हुई है.