अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के विकास दर अनुमान में कोई बदलाव न करते हुए मंगलवार को कहा कि 2014 में भारत की विकास दर 5.8 प्रतिशत रही है, लेकिन 2015 में यह बढ़ कर 6.3 प्रतिशत रहेगी, जबकि 2016 में यह दर 6.5 प्रतिशत रह सकती है.
आईएमएफ के मुताबिक चीन की धीमी विकास दर का भारत को छोड़ कर बाकी सभी एशियाई देशों पर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि तेल की घटती कीमतों के कारण कारोबार को प्रोत्साहन मिलेगा और नीतिगत सुधारों के बाद औद्योगिक और निवेश गतिविधियों में तेजी से यह कमी पूरी हो जाएगी.
आईएमएफ ने कहा कि तेल की घटती कीमतों से वैश्विक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा. तेल की अधिक आपूर्ति से यह स्पष्ट दिखाई देता है. आईएमएफ ने कारोबारी साल 2015-16 में वैश्विक विकास दर का अनुमान 3.5 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत रखा है, जो विश्व आर्थिक परिदृश्य (डब्लूईओ), अक्टूबर 2014 की रपट के 0.3 प्रतिशत के अनुमान से कम है.
आईएमएफ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपने ताजा बयान में कहा है, 'लेकिन इस मजबूती के बारे में अनुमान लगाया गया है कि यह नकारात्मक कारकों से होने वाले नुकसान पर भारी पड़ेगी.'
विकास दर में संशोधन से तेल की कीमतों में तेज गिरावट की वजह से चीन, रूस, यूरो क्षेत्र, जापान और साथ में कुछ बड़े तेल निर्यातक देशों में कमजोर गतिविधियों का पुनर्मूल्यांकन करने की संभावना दिखती है.
अमेरिका एकमात्र ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका विकास दर बढ़ने का अनुमान लगाया गया है. क्योंकि 2014 की पहली तिमाही में विकास दर के अनुमान में कटौती के बाद अमेरिका की विकास दर में फिर से उछाल की संभावना है.
आईएमएफ ने 2015-16 में अमेरिका की विकास दर तीन प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान लगाया है. ब्याज दरों में प्रस्तावित क्रमिक वृद्धि के बावजूद तेल की घटती कीमतों, अधिक वित्तीय समावेशन और मौद्रिक नीति के उदार रुख की वजह से घरेलू मांग को सहारा मिला है.
लेकिन हाल ही में डॉलर में वृद्धि से शुद्ध निर्यात घटने का अनुमान है.
डब्लूईओ की अक्टूबर 2014 की रपट में यह अनुमान लगाया गया है कि 2015 में उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में विकास दर व्यापक रूप से 4.3 प्रतिशत पर स्थिर बनी रहेगी और 2016 में यह बढ़ कर 4.7 प्रतिशत हो जाएगी.
आईएमएफ ने इस गिरावट को समझाने के लिए मुख्य रूप से तीन कारकों का उल्लेख किया है. इसमें चीन की धीमी विकास दर, रूस में कारोबार की बेहद कमजोर संभावनाएं और कमोडिटी निर्यातकों के संभावित विकास में घटता संशोधन शामिल हैं.
आईएमएफ के आर्थिक सलाहकार और अनुसंधान के निदेशक ओलिवियर ब्लैनकार्ड ने कहा, 'राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रतिकूल प्रवाह जटिल स्थिति पैदा करेगा. इसका मतलब यह है कि तेल आयातकों के लिए यह अच्छी खबर है लेकिन तेल निर्यातकों के लिए यह बुरी खबर है.'
'कमोडिटी आयातकों के लिए अच्छी और कमोडिटी निर्यातकों के लिए बुरी खबर है.' आर्थिक संकट के कगार पर खड़े देशों के लिए लगातार संघर्ष की स्थिति बनी हुई है, जबकि अन्य देशों के लिए ऐसी स्थिति नहीं है.
ब्लैनकार्ड ने कहा, 'उन देशों के लिए अच्छी खबर है, जिनकी अर्थव्यवस्थाएं यूरो और येन मुद्राओं से जुड़ी हुई है लेकिन डॉलर से जुड़े देशों के लिए बुरी खबर है.'
- इनपुट IANS