वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दावा किया कि नोटबंदी और जीएसटी से देश में वित्तीय लेनदेन में आया बदलाव ही विश्व बैंक द्वारा दी जाने वाली ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रेटिंग में सुधार का कारण है. जेटली के मुताबिक इन दोनों कदमों से अब भारत की छवि सुधरी है और दुनियाभर के कारोबारियों को देश में काम करना आसान लग रहा है. जेटली के मुताबिक आज भारत में कंपनी रजिस्टर कराने की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यमों से किया जा सकता है.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले हफ्ते आई वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट से साफ हुआ कि केंद्र सरकार द्वारा टेक्नोलॉजी की दिशा में उठाया गया यह कदम उचित था और इसी के चलते ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस रेटिंग में भारत की स्थिति सुधरी है.
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के मुद्दे पर अरुण जेटली ने कहा कि जब जीएसटी काउंसिल दो मानकों को मानते हुए देश में टैक्स का निर्धारण करने का काम किया है. पहला, काउंसिल ने जीएसटी लागू होने से पहले अलग-अलग उत्पादों पर एक्साइज, वैट, सैस इत्यादी मदों में लिए जाने वाले टैक्स के योग को आधार माना.
वहीं काउंसिल ने दूसरा आधार केन्द्र सरकार के पास एकत्र होने वाले रेवेन्यू (रेवेन्यू न्यूट्रैलिटी) को माना. जीएसटी के लिए टैक्स निर्धारित करने में काउंसिल की कोशिश थी कि नई दरों को रेवेन्यू न्यूट्रल रखने के साथ-साथ किसी भी उत्पाद अथवा सेवा पर जरूरत से ज्यादा टैक्स न वसूला जाए.
जेटली के मुताबिक इन्हीं मानकों पर चलते हुए जीएसटी काउंसिल ने एक से अधिक टैक्स स्ट्रक्चर तैयार किया. इससे आम आदमी की जरूरत के उत्पादों की दरों को सस्ता किया जा सका. वहीं कुछ चीजें अभी भी मंहगी बनी हुई हैं और जीएसटी काउंसिल लगातार लोगों से मिल रही है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में काउंसिल अपने टैक्स स्ट्रक्चर में और सुधार का फैसला ले जिससे कारोबारी को फायदा मिलने के साथ-साथ आम आदमी के लिए चीजें सस्ती दरों पर उपलब्ध होती रहें.