नोटबंदी के बावजूद नवंबर में औद्योगिक उत्पादन बढ़ा है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने औद्योगिक उत्पादन की विकास दर में 5.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. नवंबर 2015 में ये दर 3.4 फीसदी नीचे चली गई थी.
अर्थशास्त्रियों की आशंका गलत
इजाफे का ये ट्रेंड इंडेक्स ऑफ इंस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) में भी देखा गया है. अनुमान था कि फैक्ट्री आउटपुट को आंकने वाली IIP दर पिछले साल अक्टूबर में 1.9 फीसदी तक घटेगी. लेकिन ताजा आंकड़ों में ये कमी 1.8 फीसदी पाई गई है. मैन्युफेक्चरिंग, माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर्स के साथ कैपिटल गुड्स में ज्यादा ऑफटेक को इसकी वजह माना जा रहा है.
ये आंकड़े देश और दुनिया के अर्थशास्त्रियों की उस आशंका को गलत साबित करते हैं जिसके मुताबिक कैश की कमी सभी सेक्टर्स में विकास पर असर डालेगी.
सीएसओ के मुताबिक पिछले साल अप्रैल और नवंबर के बीच IIP दर 0.4 फीसदी पर स्थिर रही थी. साल 2015 में इसी अवधि के दौरान ये दर 3.8 फीसदी बढ़ी थी.
मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में भी इजाफा
IIP इंडेक्स पर सबसे ज्यादा असर डालने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नवंबर 2016 के दौरान 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. वहीं अप्रैल से लेकर नवंबर के बीच मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 0.3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी.
इसी तरह नवंबर में बिजली उत्पादन भी 8.9 फीसदी बढ़ा. नवंबर 2015 में ये वृद्धि महज़ 0.7 फीसदी थी. माइनिंग सेक्टर का आउटपुट भी इस महीने 3.9 फीसदी तक बढ़ा जबकि नवंबर 2015 में ये इजाफा सिर्फ 1.7 फीसदी था. वहीं इस दौरान कैपिटल गुड्स की प्रोडक्शन में 15 फीसदी का बढ़ोतरी हुई. कंज्युमर गुड्स का उत्पादन भी नवंबर 2016 में 5.6 फीसदी बढ़ा.